गोरखपुर, भारत में सबसे अधिक उम्र के कैदी चौथी यादव को जेल से रिहा कर दिया गया है. चौथी यादव को जेल से लेने 96 वर्षीय पत्नी सुनरा और भतीजा आए. रिहाई के बाद चौथी यादव ने कहा कि वो 107 साल के हैं और दो माह बाद 108 साल के हो जाएंगे. उन्हें झूठे आरोप में फंसाया गया था. पहले उन्हें हाईकोर्ट से रिहा कर दिया गया था. लेकिन, 14 साल पहले सेशन कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुना दी.
उम्र के आखिरी पड़ाव पर जब चौथी यादव को आजीवन कारावास की सजा हुई, तो वो टूट से गए. पत्नी की याद को सहारा बनाकर वो रिहा होने का इंतजार करते रहे। 98 साल की पत्नी सुनरा देवी उनका स्वागत करने के लिए जिला कारागार पहुंची थीं. पति को जेल से बाहर निकलता देखा तो आंखे नम हो गईं और उन्होंने माला पहनाकर उनका स्वागत किया।
बेलीपार थाना क्षेत्र के बलांव गांव के रहने वाले चौथी यादव को 25 जुलाई 1979 को हुई एक हत्या के मामले में दोषी पाया गया था. चौथी यादव के बेटे की शादी उरुवा थाना क्षेत्र में हुई है. चौथी यादव की बेटे के ससुराल वालों और गांव के धर्मेंद्र तिवारी से मारपीट हुई थी, जिसमे धर्मेंद्र तिवारी के चाचा की मौत हो गयी थी. इसके बाद उरुवा थाने में ह्त्या का मुकदमा दर्ज किया गया, जिसमे चौथी यादव को नामजद किया गया था. अदालत ने 1982 में चौथी यादव को धारा 302 में दोषी पाते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई. फिर ये मामला ऊपरी अदालतों में चला. 2003 में चौथी यादव को जेल भेजा गया.
2015 में चौथी यादव के नाती ने तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उम्र का हवाला देते हुए रिहाई की गुहार लगाई थी. तत्कालीन सत्ताधारी समाजवादी पार्टी सरकार के मुखिया अखिलेश यादव ने 12 जनवरी 2017 को चौथी यादव को छोड़े जाने की सिफारिश की थी. अखिलेश यादव की सिफारिश पर राज्यपाल ने अपने सांविधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए चौथी यादव को छोडने का आदेश दिया. और इसप्रकार चौथी यादव की रिहाई तीन महीने पूर्व दिए आदेश की वजह से मुमकिन हो सकी. चौथी यादव का जेल में स्टाफ और दूसरे कैदियों के साथ अच्छे संबंध थे. जब उनकी रिहाई का ऑर्डर आया तो सभी ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी.