मुंबई, उनकी अनेक फिल्में फिल्मोत्सवों में पंसद की जाती है, लेकिन अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दीकी को लगता है कि जिन फिल्मों को बाहर काफी प्रसंशा मिलती है, वे देश में सेंसरशिप के मसलों में अटक जाती हैं। समीक्षकों द्वारा प्रशंसित फिल्म बजरंगी भाईजान और मिस लवली में काम करने वाले अभिनेता ने कहा कि वह उम्मीद के मुताबिक वास्तविक रूप से चीजों के नहीं बदलने पर बहुत दुखी हैं। नवाजुद्दीन ने कहा, हम बहुत सी चीजों के सुधरने और आगे बढ़ने की उम्मीद करते हैं, लेकिन वैसा नहीं होता।
पांच साल पहले लोगों में थोड़ी उम्मीद बाकी थी, क्योंकि अच्छी फिल्में बन रही थीं। लेकिन अब वह लोग कुछ फिल्मों को लेकर फिल्मोत्सव में तो जाते हैं और पुरस्कार एवं प्रसंशा भी पा जाते हैं, लेकिन जब वह यहां आते हैं, तो ऐसी फिल्में पूरी तरह विफल हो जाती हैं। यह बहुत भयानक है। उन्होंने कहा कि फिल्में वास्तविक कहानियों पर आधारित होती हैं, तो इन्हें सेंसर से पास होने में मुश्किल होती है। उन्होंने कहा, बहुत सी जगहों में फिल्म संघ अथवा सेंसर बोर्ड की ओर से पारित फिल्मों का ही चयन किया जाता है। लेकिन हमारी फिल्में वहां अटक जाती हैं।
जब वास्तविक विषयों पर आधारित फिल्में बनती हैं, तो लोग उन्हें पसंद करते हैं, लेकिन वह उसे पारित नहीं कर पाते या आगे नहीं ले जाते। वह अपनी आने वाली फिल्म हरामखोर को लेकर काफी उत्साहित हैं जो 13 जनवरी को प्रदर्शित होगी। केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने पहले इस फिल्म को यह कहकर पारित करने से मना कर दिया था, कि इसका विषय स्वीकार करने योग्य नहीं है।