फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग का कहना है कि टेक्नोलॉजी से आप खुद को सुपरपावर बना सकते हैं। मार्क जुकरबर्ग दिल्ली आईआईटी में स्टूडेंट्स के सवालों के जवाब दे रहे थे।
सोशल साइट फेसबुक से दुनियाभर में 1.5 अरब लोग जुड़े हुए हैं। चीन में फेसबुक पर बैन लगने के बावजूद एशिया में रोज के 253 लाख एक्टिव यूजर्स हैं। एक सर्वे के मुताबिक, फेसबुक भारत में सबसे ज्यादा प्रचलित सोशल नेटवर्किंग साइट है। सर्वे में यह भी दावा किया गया है कि फेसबुक दुनिया की सबसे ज्यादा लोकप्रिय सोशल नेटवर्किंग साइट्स में से एक है, जिसे इंटरनेट का उपयोग करने वाले 30 फीसदी लोग रोज इस्तेमाल करते हैं।
31 साल के मार्क जुकरबर्ग अमेरिकी हैं। फेसबुक के को-फाउंडर हैं और फिलहाल सीईओ की पोस्ट संभाल रहे हैं। जुकरबर्ग चीन के शिन्हुआ स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के मैनेजमेंट की ऑपरेशनल टीम के मेंबर भी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में अपने अमेरिका दौरे के समय फेसबुक के ऑफिस गए थे, जहां दोनों के बीच यह बात हुई थी कि कैसे अलग-अलग समुदाय एक साथ मिलकर सामाजिक और आर्थिक मुद्दों का समाधान कर सकते हैं। फेसबुक ने इस बात की भी एलान किया कि वह भारत से पदजमतदमज.वतह को नहीं हटाएगा। मोदी के अमेरिका दौरे के वक्त जुकरबर्ग ने फेसबुक हेडक्वार्टर पॉलो आल्टो में स्पीच दी थी, जिसे भारत में खूब शेयर किया गया था।
आईआईटी के डोगरा हॉल में जुकरबर्ग से पहला सवाल पूछा गया कि उन्हें भारत में इतनी दिलचस्पी क्यों है? इसके जवाब में जुकरबर्ग ने कहा कि हमारा मिशन है सबको एक-दूसरे से जुड़ने की शक्ति देना। यह बड़ा बाजार है। 13 करोड़ लोग फेसबुक यूज करते हैं। यहां हजारों लोगों के पास अभी भी इंटरनेट एक्सेस नहीं हैं। इस लिहाज से यहां इकोनॉमी के आगे बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। यह देश के विकास में बड़ी भूमिका निभा सकता है। भारत में ऐसे लोगों हमें जुड़ना है। यह उन देशों में से एक है, जिसे कनेक्ट किए बिना दुनिया को नहीं जोड़ा जा सकता। नेट न्यूट्रैलिटी के सवाल पर जुकरबर्ग ने कहा कि वे इसका समर्थन तो करते हैं, लेकिन इंटरनेट पूरी तरह फ्री नहीं दिया जा सकता।
जुकरबर्ग ने अपने बारे मे बताया कि मैं बड़ा पॉजिटव था। मैं बिजनेस के बारे में नहीं सोचता था। जैसे आप सीखते हैं, मैंने भी वैसे ही किया। आप डरे नहीं और आपको फोकस करना होगा उन गलतियों के बारे में, जो आप कर रहे होते हैं। 1.5 अरब यूजर्स हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि हमने गलतियां नहीं की। हम सब इंसान हैं। कोई भी परफेक्ट नहीं होता। मैंने फेसबुक बनाया, स्टीव जॉब्स ने एप्पल बनाया। सच्चाई है कि कोई भी को-फाउंडर, दोस्त या पार्टनर की मदद के बिना ऐसा नहीं कर सकता। मेरे साथ कई लोग हैं जो इस कंपनी को चला रहे हैं। यह कोई मैजिक नहीं है। फेसबुक जैसी बड़ी कंपनी एक शख्स या यूरेका मोमेंट से नहीं तैयार की जा सकती। एक कंपनी खड़ी करना बहुत कठिन है। आपको हर बात का ख्याल रखना पड़ता है। प्रैक्टिकल रीजन होते हैं। आइडिया की पहले गहराई देखें। फिर कंपनी बनाने के बारे में सोचें। महान कंपनियां जो स्टार्टअप से शुरू होती हैं, ऐसा ही करती हैं। फोकस रखें कि आप करना क्या चाहते हैं और क्या बदलना चाहते हैं।
जुकरबर्ग का कहना है कि हम ऐसा कम्प्यूटर सिस्टम बनाना चाहते हैं जो देख सके, सुन सके, ट्रांसलेट कर सके, जो भी बेसिक ह्यमून सेंस हैं, उन्हें पहचान सके। ये इमरजेंसी के वक्त अच्छा काम करेगा। लापता लोगों के बारे में फेसबुक पर नोटिफिकेशन पर जुकरबर्ग ने कहा कि हमने अमेरिका में ।डठम्त् नाम का एक ऐसा प्रोग्राम शुरू किया है। वहां लोग बच्चों के गायब होने पर न्यूज फीड में अपडेट कर देते हैं। यह सक्सेसफुल रहा। जनवरी में हमने इसे शुरू किया है। अब तक फेसबुक के इस फीचर से कई बच्चे वापस मिल चुके हैं। फोटो देख कर लोग पुलिस को बता रहे हैं। कम्युनिटी प्रोग्राम, सेफ्टी चेक, ऑर्गन डोनेशन जैसे कई और प्रोग्राम आने वाले दिनों में हम शुरू करेंगे।