नयी दिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार को लगातार तीसरे दिन भी वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में बने रहने से दैनिक कामकाज प्रभावित है और सुबह 10 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 464 दर्ज किया गया।
सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) ने बताया कि वायु की 8 से 18 किमी प्रति घंटे की रफ्तार होने के कारण वायु गुणवत्ता के गंभीर स्तर मे सुधार हो सकता है।
एजेंसी के आंकड़ों के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी (एनसीआर) में पीएम 2.5 का स्तर 237 पर पहुंच गया, दिल्ली में पीएम10 का स्तर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में 397 दर्ज किया गया।
सफर के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में शनिवार को पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने की घटनाओं के कारण 30 फीसदी की वृद्धि रही है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता खराब श्रेणी में रही, नोएडा (उप्र) और गुरुग्राम (हरियाणा) में क्रमशः 529 और 478 एक्यूआई दर्ज किए गए, और दोनों अत्यधिक खतरनाक ‘गंभीर’ श्रेणी में है।
दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता के गंभीर स्तर को देखते हुए शुक्रवार को शनिवार से स्कूल बंद करने की घोषणा की थी।
सरकार ने अपने 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम करने का आदेश दिया। जबकि निजी कार्यालयों को इसके पालन की सलाह दी है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के चरण IV के तहत उपायों को लागू करने का भी निर्णय लिया।
योजना के तहत, गैर-बीएस VI डीजल से चलने वाले हल्के मोटर वाहनों पर प्रतिबंध रहेगा। इसके तहत आवश्यक वस्तुओं को ले जाने या आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले डीजल ट्रकों को भी दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
परिवहन विभाग के एक आदेश के अनुसार इस दौरान सभी सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति रहेगी। वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यदि प्रदूषण बढ़ने के कारण कुछ वाहनों के चलने पर प्रतिबंध का उल्लंघन होता है, तो उस पर 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
सर्वोच्च न्यायालय 10 नवंबर को पराली जलाने पर नए दिशा-निर्देशों की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा।