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दिल्ली विधानसभा में कैग की रिपोर्ट पेश, आप ने चर्चा का किया बहिष्कार

नयी दिल्ली, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण की रोकथाम को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट मंगलवार को विधानसभा में पेश किया। इस रिपोर्ट पर सदन में चर्चा भी करायी गयी, लेकिन विपक्षी दल आम आदमी पार्टी (आप) ने चर्चा के दौरान सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। श्रीमती गुप्ता ने 280 पर चर्चा की समाप्ति के बाद कैग की ‘दिल्ली में वाहन वायु प्रदूषण रोकथाम और शमन पर निष्पादन लेखा परीक्षा प्रतिवेदन’रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा।

इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष विजेंद्र गुप्ता ने यह कहते हुए आधे घंटे के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी कि सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होने पर कैग की रिपोर्ट पर चर्चा कराई जाएगी। आधे घंटे बाद जब सदन की कार्यवाही फिर से शुरू हुयी, तो आप के विधायक सदन में नहीं आए और पूरे दिन सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया।

कैग की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने विधानसभा पेश की जा रही कैग की रिपोर्टों के कारण पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अवसाद में हैं। उन्हें इससे बाहर लाने के लिए पंजाब के लोगों के करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकारी श्री केजरीवाल के जानने वाले ने दी है। उन्होंने कहा, “श्री केजरीवाल की नालायकी के कारण पिछले 10 साल दिल्लीवालों को प्रदूषित हवा में जीना पड़ा। करीब 22 करोड़ रुपये का स्मॉग टॉवर एक साल में ही जंग खा गया, अब वो बंद पड़ा है। सिर्फ ऑड-ईवन के नाम पर आप-दा ने 53 करोड़ रुपये बर्बाद कर दिए, लेकिन कुछ काम नहीं किया।”

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, सतत परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्रों की संख्या केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के अनुरूप नहीं थी, जिसके चलते वायु गुणवत्ता सूचकांक का डेटा अविश्वसनीय रहा। उचित निगरानी के लिए आवश्यक प्रदूषक सांद्रता डेटा उपलब्ध नहीं था और लेड के स्तर की माप भी नहीं की गई। प्रदूषण स्रोतों पर वास्तविक समय का डेटा न होने से जरूरी अध्ययन नहीं हो सके।कैग की रिपोर्ट के अनुसार वाहनों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन का कोई आकलन नहीं किया गया, जिससे स्रोत-विशिष्ट रणनीतियां बनाने में मुश्किलें आईं।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 24 निगरानी केंद्रों में से 10 में बेंजीन का स्तर तय सीमा से अधिक था, लेकिन पेट्रोल पंपों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन की प्रभावी निगरानी नहीं हुई।कैग की रिपोर्ट में बताया गया है कि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था भी चिंता का विषय रही। दिल्ली में 9,000 बसों की आवश्यकता के मुकाबले केवल 6,750 बसें उपलब्ध थीं। बस प्रणाली में संचालन संबंधी अक्षमताएं, जैसे बसों का ऑफ-रोड रहना और तर्कहीन मार्ग योजना, भी सामने आईं। साल 2011 के बाद ग्रामीण-सेवा वाहनों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई, जबकि जनसंख्या लगातार बढ़ी और पुराने वाहन प्रदूषण बढ़ाते रहे।

कैग की रिपोर्ट के वैकल्पिक परिवहन साधनों (मोनोरेल, लाइट रेल ट्रांजिट, ट्रॉली बस) के लिए आवंटित बजट पिछले सात वर्षों से अप्रयुक्त पड़ा रहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक परिवहन बसों की उत्सर्जन जांच, जो माह में दो बार अनिवार्य है, नियमित रूप से नहीं हुई।कैग की रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र जारी करने में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आईं, जिसमें अत्यधिक उत्सर्जन वाले वाहनों को भी पास कर दिया गया। प्रदूषण जांच केंद्रों का कोई निरीक्षण या थर्ड पार्टी ऑडिट नहीं हुआ।कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि आधुनिक तकनीकों, जैसे रिमोट सेंसिंग डिवाइस, को अपनाने में देरी और वाहन फिटनेस परीक्षणों का ज्यादातर मैन्युअल तरीके से होना भी चिंताजनक रहा। वित्त वर्ष 2018-19 में 64 प्रतिशत वाहन, जो फिटनेस परीक्षण के लिए नियत थे, परीक्षण के लिए नहीं पहुंचे। स्वचालित वाहन निरीक्षण इकाइयों का उपयोग न्यूनतम रहा और बिना उचित परीक्षण के फिटनेस प्रमाणपत्र जारी किए गए।

गौरतलब है कि रेखा गुप्ता सरकार ने आबकारी नीति से संबंधित रिपोर्ट, स्वास्थ्य सेवाओं से संबंधित रिपोर्ट और दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) से संबंधित रिपोर्ट सहित अब तक छह रिपोर्ट सदन के पटल पर रख चुकी हैं।