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निकाय चुनाव के नतीजों के आधार पर, मायावती तय करेंगी गठबंधन की रणनीति

लखनऊ, लोकसभा और विधानसभा चुनावों में करारी हार से मायावती आहत हैं। उनके सामने पार्टी के वजूद को बचाने और अपनी राजनीति को कायम रखने का सवाल है। लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित पार्टी कार्यालय में पार्टी सुप्रीमो मायावती ने पार्टी के बड़े नेताओं को भविष्य की रणनीति के बारे में विस्तार से समझाया। मायावती ने उत्तर प्रदेश के शहरी निकाय चुनावों को लेकर पार्टी पदाधिकारियों से चर्चा की और इस बार पार्टी के चुनाव चिन्ह हाथी पर ही चुनाव लडने का फैसला किया।

पार्टी सूत्रों के मुताबिक मायावती ने बैठक में कहा कि बीएसपी मूवमेंट उत्तर प्रदेश में काफी मजबूती से खड़ा है, लेकिन पिछले कुछ समय से चुनावी सफलता नहीं मिल पा रही है। उन्होने कहा कि बीएसपी मूवमेंट के सामने जो नई चुनौतियां हैं, उनका मुकाबला रणनीति के साथ किया जाएगा। मायावती ने बसपा के वरिष्ठ नेताओं से सोशल इंजीनियरिंग की नई परिभाषा गढऩे और पिछड़ा-दलित गठजोड़ की संभावनाओं को तलाशने के लिए कहा है।
 वास्तव मे, निकाय चुनाव के बहाने मायावती यह देखना चाहती हैं कि पार्टी सिंबल पर लडऩे के बाद सपा और कांग्रेस के मुकाबले बसपा कहां खड़ी होगी। पार्टी इसी बहाने देखेगी कि स्थानीय स्तर पर पार्टी का कितना जनाधार है। साथ ही यह भी अनुमान लगायेगी कि अगर दलित- पिछड़ा गठजोड़ हो जाये तो बसपा को कितना फायदा होगा। इस आंकलन के बाद मायावती वर्ष 2019 में प्रस्तावित लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाएंगी और गठबंधन की रणनीति तैयार करेंगी। सपा से बेहतर स्थिति होगी तो गठबंधन अपनी शर्तों पर होगा, अन्यथा मजबूरी का साथ करने पर विचार किया जाएगा।