लखनऊ, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि नोटबंदी का जश्न मना, भाजपा सरकार जनता का उपहास उड़ा रही है।
अखिलेश यादव ने कहा कि जिस नोटबंदी के दौर में दर्जनों लोगों की जाने चली गई, लोगों के शादी ब्याह और अंतिम संस्कार तक में अड़चनें पैदा हो गई और मध्यवर्गीय तथा अल्प आय वर्ग वाले परिवारों का बजट भी बिगड़ गया उसको लेकर भाजपा सरकार ‘जश्न‘ मनाए यह भारत की जनता का उपहास है।
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पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि गतवर्ष 08 नवम्बर को केंद्रीय भाजपा सरकार ने नोटबंदी के जरिए पांच सौ और हजार रूपए के नोटों को चलन से बाहर करने की अचानक घोषणा के साथ उसके पीछे जो उद्देश्य बताए गए थे, वे सब खोखले थे। वस्तुतः सरकार के इस अदूरदर्शिता पूर्ण निर्णय से आर्थिक जगत में अराजकता का माहौल पैदा हुआ है और बेरोजगारी के साथ निर्माण कार्य बंद होने का दंश जनता को झेलना पड़ा।
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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी छवि चमकाने के लिए प्रधानमंत्री ने रिजर्व बैंक या मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों को विश्वास में लिए बिना राजनीतिक फैसला लिया जिससे 64 बार उन्हें नियम बदलने पड़े। कृषि इस देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है। रिजर्व बैंक मानता है कि नोटबंदी के नए नियमों के कारण नकदी का प्रवाह बाधित हुआ। फल स्वरूप किसान को औने-पौने अपनी फसल बेचनी पड़ी है। कर्ज में डूबे किसान को आत्महत्या करनी पड़ी रही है। आलू , धान और गन्ना किसानों पर बुरी तरह मार पड़ी।
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अखिलेश यादव ने कहा कि नोटबंदी की मार सबसे ज्यादा असंगठित क्षेत्र पर पड़ी क्योंकि यह क्षेत्र नकदी से संचालित होता है। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र की देश की अर्थव्यवस्था में 45 फीसदी हिस्सेदारी हैं जिसमें 93 फीसदी में नकारात्मक प्रभाव पड़ने से हमारी विकास दर में भी गिरावट आ गयी। देश की जनता को अंधेरे में रखकर उसकी भावनाओं से खिलवाड़ करना लोकतंत्र में अपराध से कम नहीं।