मुंबई, ‘गणेशोत्सव, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर दही-हांडी और नवरात्रि त्योहार सभी हमारी मान्यताओं का हिस्सा हैं। हमें निर्देश देने वाले न्यायालयों को कम से कम इस मुद्दे पर लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिए।’उच्च्तम न्यायालय द्वारा महाराष्ट्र में दही-हांडी उत्सव पर प्रतिंबध लगाए जाने पर शिव सेना ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। शिव सेना ने कहा कि लोग हिन्दू उत्सवों के संबंध में इस प्रकार की बाधाएं लगाने के प्रयासों विफल कर देंगे।श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर दही – हांडी फोड़ने की परंपरा को लेकर रोकने को लेकर शिवसेना ने अपना विरोध जताया है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, ‘हिन्दुओं के त्यौहार और रीति रिवाज जारी रहेंगे। लोग इनमें बाधा डालने के प्रयासों को विफल कर देंगे और इस काम में शिव सेना अगुवाई करेगी।’ सेना ने कहा, ‘जब अदालतें सरकार का काम करने लगेगी, तो उन्हें बदनामी सहने के लिए भी तैयार रहना चाहिए।’ संपादकीय में कहा गया कि ऐसा इसलिए है क्योंकि अदालतें वे फैसले करने की कोशिश कर रही हैं जिन्हें करने की सरकार से उम्मीद की जाती है। सेना ने कहा कि उत्सवों के बारे में अदालतों के इस तरह के फतवों से जनता में गुस्सा है ।
शिवसेना ने कहा, ‘लोगों ने लोकतांत्रित तरीके से अपनी सरकार चुनी है। यह काम सरकार को करने दीजिए। सरकार के शीर्ष लोग इस बात को जानते हैं कि क्या सही है और क्या गलत है। यदि सरकार को नकारने और लोकतंत्र की हत्या का प्रयास किया जाएगा, तो सभी मोर्चो पर राष्ट्रीय व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।’
उच्चतम न्यायालय में अपने एक आदेश में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर दही हांडी को लेकर कहा गया कि दही हांडी की उंचाई 20 फुट से अधिक नहीं होना चाहिएं साथ ही इसमें जिस तरह के पिरामिड बनाए जाते हैं वे 18 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए। उच्चतम न्यायालय के निर्णय से दही-हांडी समूहों में नाराजगी छा गई थी, जिनका मानना था कि परंपरागत त्योहार दही-हांडी के लिए ऊंचाई की सीमा तय करने से इस खेल में रोमांच और साहस समाप्त हो जाएगा। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने इस तर्क को अदालत में जोरदार तरीके से नहीं रखने पर सरकार की आलोचना की थी।