पदमावत रिलीज़, चार राज्यों मे प्रदर्शन नही, सुप्रीम कोर्ट का आदेश जातीय संगठनों के आगे बेअसर
January 25, 2018
नई दिल्ली, संजय लीला भंसाली की चर्चित और विवादित फ़िल्म पदमावत आज रिलीज़ हो गई है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद देश के कई हिस्सों मे फ़िल्म नही दिखायी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद करणी सेना का विरोध प्रदर्शन जारी है। कई जगह हिंसक झड़पें हुई हैं।डर के कारण कई सिनेमा मालिकों ने फिल्म दिखाने से मना कर दिया है. राज्य सरकार इन सब को रोकने के नाकामयाब साबित हुई है जिसके कारण जातीय संगठनों की मनमानी के आगे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ती दिखी.
करणी सेना के विरोध प्रदर्शनों के कारण हिंसा के डर से फ़िल्म चार राज्यों सहित कई क्षेत्रों मे नहीं दिखाई जा रही है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी राज्यों को फिल्म प्रदर्शित करने का आदेश देने के बावजूद राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और गोवा के थिएटर मालिकों ने इसे दिखाने से मना कर दिया। उन्होंने हिंसा के माहौल को इसका कारण बताया है. इस बीच राजपूत करणी सेना ने किसी भी कीमत पर फिल्म का प्रदर्शन नहीं होने देने और सिनेमाघरों में ‘जनता कर्फ्यू’ लगाने का फिर एलान किया है.
फिल्म दिखाये जाने के विरोध मे कई जगह हिंसक प्रदर्शन हुए हैं. बसों को आग के हवाले कर दिया गया है। सिनेमाघरों में आगजनी की खबरें भी सामने आईं हैं. कई सिनेमाघरों के बाहर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है. बुधवार को हरियाणा के गुरुग्राम में एक स्कूल बस पर भी पथराव किया गया. गुरुग्राम के अलावा दिल्ली-एनसीआर के कई स्कूल हिंसा के डर की वजह से बंद कर दिए गए हैं. लेकिन जहां भी फ़िल्म दिखायी गई वहां दर्शकों की भारी भीड़ जुटी. कई जगह फिल्म का शो हाउसफुल रहा है.
राजपूत संगठन करणी सेना के प्रमुख लोकेंद्र सिंह कालवी ने हिंसा के लिए ‘पद्मावत’ के निर्माता संजय लीला भंसाली को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने हिंसा के लिए खेद जताते हुए कहा कि यह सब रानी पद्मावती के लिए है, जिन्होंने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए 16 हजार रानियों के साथ जौहर किया था. उन्होंने फिर कहा कि जिन सिनेमाघरों में भी फिल्म का प्रदर्शन होगा, वहां ‘जनता कर्फ्यू’ लगेगा, ताकि इसका प्रदर्शन न हो. हमें भले गिरफ्तार कर लें और गोलियां चलाएं, लेकिन इससे हम रुकेंगे नहीं.
फिल्म पद्मावत को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला है।उन्होंने कहा है कि इस मसले पर केंद्र सरकार करणी सेना के आगे सरेंडर कर चुकी है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 56 इंच का सीना कहां है।
गुरुवार सुबह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक चार ट्वीट किए हैं, लेकिन उनके ट्वीट मे पद्मावत को लेकर हिंसा का कोई ज़िक्र नहीं हैं. भाजपा शासित राज्यों में फिल्म न दिखाए जाने को लेकर कांग्रेस ने भाजपा को निशाने पर लिया है. पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुग्राम में बच्चों की बस पर हुए हमले के बहाने भाजपा सरकार को घेरते हुए कहा, ‘भाजपा गंदी राजनीति कर रही है और राष्ट्र को हिंसा की आग के हवाले कर दिया है. बच्चों के खिलाफ हिंसा का कोई भी कारण बड़ा नहीं हो सकता है। हिंसा और नफरत कमजोरी के हथियार हैं.’
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि राम ने जो सजा रावण को दी, वही इन गुंडों को मिलनी चाहिए। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा है कि सरकार अगर समस्त आशंकाओं के बावजूद भी किसी प्रदर्शन की अनुमति दे रही है तो फिर उसे जनता की सुरक्षा की गारंटी भी देनी होगी. सरकार ऐसी ज़िम्मेदारी से बच नहीं सकती.मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कई ट्वीट करते हुए इसे सिर्फ़ क़ानून-व्यवस्था का मामला नहीं बताया, बल्कि इसे बीजेपी की विचारधारा और राजनीति कहा है.
पद्मावत मामले मे सुप्रीम कोर्ट मे करणी सेना और राज्यों के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल हुई है. इस मामले में कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग की गई है. जिसके बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.
लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद देश के कई हिस्सों में ऐसी स्थिति क्यों आ गई. केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड से सर्टिफिकेट मिलने और सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रदर्शन की मंजूरी के बाद पद्मावत रिलीज तो कर दी गई है, लेकिन राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात एवं गोवा की सरकारों ने अपने राज्य में फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगा रखा है।क्या सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की जातीय संगठनों की मनमानी के आगे कोई अहमियत नही है?