मां बनना हर स्त्री का सपना होता है। मातृत्व के अहसास के आगे दुनिया की हर खुशी फीकी लगती है, पर आजकल की भागदौड़ व तनाव भरी जिंदगी में कई बार मां बनने की यह चाहत एकाएक पूरी नहीं हो पाती। इसकी वजह है कि तनाव का सीधा असर शरीर पर पड़ता है। यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा ही है तो भी उसे लेकर परेशान होने की आवश्यकता नहीं। ऐसे मामले में आपको समझदारी दिखानी चाहिए। इस संबंध में विशेषज्ञ के पास जाने से पहले कुछ बातों को सुनिश्चित करने का प्रयास करें।
क्या करें…
- सबसे पहले तो आपको अपने खानपान पर ध्यान देना होगा। फल एवं सब्जियों युक्त पौष्टिक व संतुलित आहार लेना शुरू करें, ताकि आपका शरीर गर्भधारण के लिए तैयार हो सके।
- आपका तनावमुक्त व सकारात्मक रहना जरूरी है। अपने शौक को फॉलो करें। जिन गतिविधियों में आपको आनंद आता हो, उनसे स्वयं को जोड़ें। अगर आपको लगता है कि मौजूदा नौकरी को आप एंजॉय नहीं कर रही हैं व उसकी वजह से तनावमुक्त नहींरह पाती हैं तो बेहतर होगा कि ऐसी जॉब तलाश करें, जो आपको खुशी व संतुष्टि दे सके।
- टीवी देखने की शौकीन हैं तो भी इस बात का ख्याल रखें कि वे कार्यक्रम आपके चेहरे पर हंसी व मुस्कान लाने वाले हों। ऐसे कार्यक्रम, जिन्हें देखने से आप दुख और अवसाद से भर जाएं, उन्हें न देखना ही बेहतर होगा। गौरतलब है कि तनाव व चिंताओं से गर्भधारण करने में मुश्किल पेश आती है।
- यदि मां को डायबिटीज या थायराइड की समस्या है तो उसका असर गर्भस्थ शिशु के विकास पर पड़ता है। ये स्वास्थ्य समस्याएं कहीं आपको तो नहींहैं? इस आशंका को खारिज करने व इस संबंध में सच्चाई जानकर जरूरी सावधानियां सुनिश्चित करने के लिए गर्भधारण से पूर्व अपनी स्त्रीरोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। डायबिटीज से ग्रसित स्त्रियों को इस बात का ख्याल रखना होगा कि गर्भधारण से पूर्व व गर्भावस्था के दौरान उनका ब्लड शुगर नियंत्रण में रहे। थैलेसीमिया के बारे में पूर्व में ही जानकारी कर लेना विशेष रूप से जरूरी है, क्योंकि यह स्वास्थ्य समस्या मां से बच्चे में जा सकती है।
- जिन दिनों में गर्भधारण की संभावना अधिक होती है (पीरियड्स के 10वें दिन से 20वें दिन तक, क्योंकि इसी दौरान ओवल्यूशन होता है) उन दिनों में नजदीकियां स्थापित करना अच्छा होगा।
- शिशु को किसी भी संभावित विकृति के खतरे से दूर रखने के लिए फोलेट सप्लीमेंट लेने के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकती हैं।
- अगर आपकी उम्र 35 वर्ष से अधिक है और लगातार एक साल तक कोशिश करने के बाद भी आप गर्भधारण नहींकर पा रही हैं तो विशेषज्ञ से सलाह हेतु संपर्क करना चाहिए।
- अगर आपको या पति को क्रमशः पॉलीसिस्टक ओवरी सिंड्रोम या लो स्पर्म काउंट की समस्या से ग्रसित बताया गया है तो डॉक्टर्स से संपर्क करना मुनासिब होगा।
क्या न करें…
इस बात का ख्याल रखें कि आपके पति गोद में लैपटॉप रखकर काम न करें। ट्राउजर की फ्रंट पॉकेट में मोबाइल रखने की आदत भी उन्हें बदल देनी चाहिए। ऐसे गैजेट्स से काफी हीट निकलती है, जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है। विशेषज्ञों के मुताबिक पुरुषों के स्पर्म पर उच्चल तापमान का असर पड़ता है।
किसी भी प्रकार की हर्बल दवा या सप्लीमेंट्स का इस्तेमाल विशेषज्ञ की सलाह के बगैर न करें। वे आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं या आपके उपचार को प्रभावित कर सकती हैं।
टोफू और सोया को अपने आहार में अधिक मात्रा में शामिल न करें। इन खाद्य पदार्र्थों से प्रजनन क्षमता कम होती है। इसके साथ ही खनिज पदार्थ मरकरी युक्त खाद्य पदार्थ जैसे सोर्डफिश इत्यादि के सेवन से भी बचना चाहिए। इनसे गर्भावस्था के दौरान शिशु के नर्वस सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है।
शराब के सेवन व धूम्रपान से दूर रहें। -चाय व कॉफी के सेवन में कमी लाएं।
अगर शुरुआती कोशिशों में आप गर्भधारण में असफल रहती हैं तो भी उम्मीद का दामन न छोड़ें। कई बार इसमें कुछ वक्त लगता है। इस मामले में आपको धैर्य से काम लेना होगा।