नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट से एक गैर सरकारी संगठन एनजीओ ने कहा है कि आगामी समय में देश में उम्रदराज लोगों की तादाद तेजी से बढ़ेगी जिसे देखते हुए संसद को बुजुर्गों के कल्याण से संबंधित राष्ट्रीय नीति को मंजूरी देनी चाहिए। एनजीओ ने न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति पीसी पंत की पीठ के समक्ष बुजुर्गों से जुड़ी नीतियों पर एक रिपोर्ट और सुझाव पेश किए जिसे रिकॉर्ड में लेते हुए पीठ ने केंद्र से इसे देखने को कहा।
पूर्व कानून मंत्री एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार द्वारा दायर बुजुर्गों के कल्याण संबंधी योजनाओं को लागू करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर शीर्ष अदालत ने एनजीओ हैल्पएज इंडिया को न्यायमित्र बनाया। मामले पर आगे की सुनवाई 27 फरवरी को होगी। एनजीओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वर्ष 2011 की जनसंख्या के मुताबिक तब बुजुर्ग लोगों की संख्या 10.3 करोड़ थी और वर्ष 2015 में यह आंकड़ा 10.8 करोड़ था। सांख्यिकीय मंत्रालय की एक रिपोर्ट के हवाले से एनजीओ ने कहा कि 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों की संख्या वर्ष 2001 के 7.6 करोड़ से 35.5 फीसदी बढकर वर्ष 2011 में 10.3 करोड़ हो गई।
रिपोर्ट के मुताबिक वरिष्ठ नागरिकों के लिए राष्ट्रीय नीति, 1999 में संधोशन और बदलाव करने की काफी मांग है। इसमें कहा गया कि यह अपरिहार्य है कि संसद बुजुर्गों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर संशोधित नीति को मंजूरी दे। वर्तमान नीति को भी पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है और इसके दायरे में महज 1.96 लोगों को लाया जा सका है जबकि बड़ी संख्या में गरीब बुजुर्ग अभी भी इससे बाहर हैं।