नई दिल्ली, देशभर के बैंकों में 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों की अदला-बदली बंद होने से बैंककर्मियों ने राहत की सांस ली है। इन पुराने नोटों को अब भारतीय रिजर्व बैंक के काउंटरों पर बदला जा सकता है और बैंकों में जमा कराया जा सकता है। आरबीआई के कर्मचारियों को हालांकि अभी भी इस समस्या से दो-चार होना पड़ेगा। आईसीआईसीआई बैंक की साकेत स्थित शाखा के कार्यकारी अधिकारी ने बताया, यह अकेला काम ही हम सब पर बहुत बड़ा बोझ था। हमें सिर्फ 2,000 रुपये के लिए पहचान पत्र के दस्तावेजों को वास्तविक पहचान पत्रों से सत्यापित करना पड़ता था और लोगों की तर्जनी उंगली पर निशाना लगाना पड़ता था। लोग इन प्रक्रियाओं से उब गए थे। उन्होंने आगे बताया कि कुछ लोग इस अधिसूचना के साथ आते थे कि वे 4,000 रुपये तक बदलवा सकते हैं लेकिन जब बैंककर्मी उन्हें बताते थे कि अब यह सीमा घटकर 2,000 रुपये हो गई है तो उन्हें यकीन नहीं होता था। इससे दोनों के बीच में बहस हो जाती थी। यह मनौवैज्ञानिक भार था।
नोटबंदी की घोषणा के बाद सरकार ने कहा था कि लोग वैध पहचान पत्रों के साथ किसी भी बैंक की शाखा में जा सकते हैं और 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट बदलवा सकते हैं। हालांकि, इसके बाद यह सीमा बढ़ाकर 4,500 रुपये कर दी गई और बाद में इसे घटाकर 2,000 रुपये कर दिया गया और लोगों के बार-बार बैंक पहुंचने की समस्या से निजात दिलाने के लिए उंगली पर स्याही का निशाना लगाने का भी नियम बनाया गया। चंडीगढ़ में अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय बैंक के अधिकारी अभिषेक ने कहा, हमारे बैंक की शाखा में नोट बदलवाने के लिए लोगों की लंबी-लंबी कतारें लगती रहीं। अधिकतर बैंककर्मी यह समझ सकते हैं कि कौन वास्तविक ग्राहक है और कौन दूसरों के लिए कतार में लगा है। अभिषेक ने आगे कहा, मैंने कल एक आदमी को पकड़ा जिसने दूसरों के लिए पुराने नोट बदलवाने हेतु एक मजदूर को कतार में लगा रखा था। मैंने उसे चेतावनी दी। हालांकि, अभी ताजा आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। आरबीआई ने 21 नवंबर को कहा था कि बैंकों ने 10 से 18 नवंबर तक 33,000 करोड़ रुपये के पुराने नोट बदले हैं और 511,565 करोड़ रुपये की नकदी जमा की है जबकि 103,316 करोड़ रुपये की नकीद बैंक खातों और एटीएम से निकाली गई है।