महिला सुरक्षा के लिए तालुका स्तर तक संरक्षण अधिकारी नामित करें: उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मंगलवार को निर्देश दिया कि वे जिला और तालुका स्तर पर महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों की पहचान करें और उन्हें संरक्षण अधिकारी के रूप में नामित करें।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने याचिकाकर्ता-एनजीओ ‘वी द वूमेन ऑफ इंडिया’ की याचिका यह आदेश पारित किया।

पीठ ने राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और महिला एवं बाल/समाज कल्याण विभागों के सचिवों को निर्देश दिया कि वे समन्वय स्थापित करें और यह सुनिश्चित करें कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अधिकारियों को संरक्षण अधिकारी के रूप में नामित किया जाए।

पीठ ने आदेश दिया कि जिन क्षेत्रों में उन्हें नामित नहीं किया गया है, वहां 20 मई से छह सप्ताह के भीतर संरक्षण अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए।

संरक्षण अधिकारी वह नियुक्त व्यक्ति होता है, जिसे घरेलू हिंसा की पीड़ितों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा जाता है।

याचिका में देश भर में घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत बुनियादी ढांचे की बड़ी खाई को भरने की मांग की गई थी। एनजीओ ने तर्क दिया कि घरेलू हिंसा अधिनियम 15 साल से अधिक समय से लागू होने के बावजूद महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा सबसे आम अपराध बना हुआ है।

पीठ ने कहा, ‘उन्हें अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने, अधिनियम के तहत सेवाओं के प्रभावी समन्वय को सुनिश्चित करने और इसके प्रावधानों को लागू करने के लिए मीडिया के माध्यम से व्यापक प्रचार करके धारा 11 के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए कदम उठाने चाहिए।’

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