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मायावती की वकील कामिनी जायसवाल ने कोर्ट से कहा कि पिटीशन लगाने वाले कमलेश वर्मा एक्स बीएसपी मेंबर हैं। ये केस मायावती के खिलाफ एक राजनीतिक साजिश के अलावा कुछ नहीं है। वकील कामिनी जायसवाल के मुताबिक चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज वर्मा ने बीएसपी छोड़ दी थी। कांग्रेस ज्वॉइन करने के बाद वे बीएसपी कैंडिडेट से असेंबली और लोकसभा दोनों चुनाव हार गए थे। जायसवाल ने ये भी कहा, ‘जब 2003-04 में मायावती को क्लीनचिट मिल गई थी। जबकि ताजे केस में 1993-2005 के दौरान की उनकी प्रॉपर्टी का जिक्र है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, ‘अगर प्रिवेन्शन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत एफआईआर की जाती है तो इस तरह के एसेसमेंट में कुछ भी गलत नहीं है। इससे पहले केंद्र सरकार ने कहा था कि किसी नए आधार पर मायावती के खिलाफ नई कम्प्लेन्ट दायर नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, ‘मायावती के खिलाफ हालिया दिए गए किसी भी ऑर्डर की अनदेखी नहीं की जा सकती। लेकिन बीएसपी के पूर्व मेंबर की पिटीशन पर सुनवाई जरूर होगी।