चंडीगढ़, हरियाणा के मुख्यमंत्री एवं हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष मनोहर लाल ने मंगलवार को कहा कि संत-महापुरुषों की सोच प्राचीनकाल से ही सामाजिक समरसता व एकात्म मानववाद की रही है। ऐसे संत-महापुरुषों को किसी एक वर्ग से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिये।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रदेश सरकार ने इसी को ध्यान में रखते हुए संत-महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रचार प्रसार योजना चलाई है और महापुरुषों की जयंतियां एवं स्मृति दिवसों को सरकारी स्तर पर मनाने की पहल की है, ताकि युवा पीढ़ी को संत महापुरुषों की जीवनी से समाज कल्याण की प्रेरणा मिले।
मुख्यमंत्री आज यहां अपने निवास संत कबीर कुटीर पर डॉ कृष्ण गोपाल द्वारा लिखित एवं हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तक: डॉ बाबासाहेब भीमराव रामजी आम्बेडकर जीवन और चिंतन का विमोचन करने उपरांत उपस्थित साहित्यकारों को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि साहित्य समाज का आइना होता है और साहित्यकारों की समाज के प्रति अहम भूमिका होती है। एक साहित्यकार अपने शब्दों और विचारों से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। डॉ बाबासाहेब भीमराव रामजी आम्बेडकर ने भी अपने जीवन में सदैव समाज के सभी वर्गों में समरसता, समन्वय व खुशहाली लाने के लिए कार्य किया। उनके जीवन पर लिखी गई यह पुस्तक निश्चित तौर पर युवाओं को सकारात्मक दिशा में बढ़ने के लिए निश्चित तौर पर प्रेरित करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाबासाहेब ने जिस सोच व विचार से देश का संविधान लिखने में उल्लेखनीय योगदान दिया और उस संविधान के कारण ही आज देश में शोषित, वंचित और जरूरतमंद नागरिकों को अपने अधिकार मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि डॉ अम्बेडकर के विचार समाज के किसी एक वर्ग के लिये नहीं, बल्कि वे तो एक सामाजिक समरसता की एक कड़ी थे। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।
उन्होंने पिछड़े, पीड़ित, अभावग्रस्त व्यक्ति को समाज की मुख्यधारा में कैसे लाया जा सके, इस पर जोर दिया। इसी प्रकार, पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने भी अंत्योदय दर्शन समाज के सामने रखा, जिसका अर्थ है कि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े अंतिम व्यक्ति का उद् य या उत्थान करना है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि एक साहित्यकार प्राचीन काल पर अपने शोध के माध्यम से ऐसे-ऐसे संत-महापुरुषों को खोज निकालता है, जिनके बारे समाज को ज्ञान नहीं। अभी हाल ही में राज्य सरकार ने प्रदेश में संत-महापुरुष सम्मान एवं विचार प्रचार प्रसार योजना के तहत झलकारी बाई की जयंती मनाई, जो महारानी लक्ष्मीबाई की महिला सेना की सेनापति थी।