मृत्युदंड देने के मामले में दोहरा मापदंड क्यों है? -असदुद्दीन ओवैसी
May 6, 2017
हैदराबाद, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने दुष्कर्म के मामले में मृत्युदंड, खासकर दंगों के संदर्भ में, को लेकर दोहरे मापदंड पर सवाल उठाए। बिलकिस बानो मामले में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा 11 दोषियों के आजीवन कारावास की सजा बरकरार रखने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को दोषियों को मृत्युदंड देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए।
सांसद ने कहा कि दोषियों ने गुजरात दंगों के दौरान मार्च 2002 में न केवल गर्भवती बिलकिस बानो के साथ दुष्कर्म किया, बल्कि उसकी मासूम बच्ची का सिर पत्थर से दे मारा था, जिससे उसकी मौत हो गई। दंगाइयों ने बिलकिस की बहन, मां और परिवार के अन्य 11 सदस्यों को भी मार डाला था। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह मामला दोषियों को मृत्युदंड दिए जाने के लिए बिल्कुल सही है।
ओवैसी ने कहा कि हालांकि वह उच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन जानना चाहते हैं कि मृत्युदंड देने के मामले में दोहरा मापदंड क्यों है? उन्होंने कहा कि उन्होंने याकूब मेनन को मृत्युदंड दिए जाने के अदालत के फैसले का भी समर्थन किया था, हालांकि यह हर कोई जानता है कि 1993 के मुंबई बम विस्फोट में उसकी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर संलिप्तता नहीं थी, पर अदालत को उसके खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य मिले थे।
उन्होंने कहा कि गुजरात में जब बिलकिस बानो के साथ दुष्कर्म हुआ और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या की गई, नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कहा कि चूंकि उनकी सरकार ने इस मामले में उचित जांच नहीं कराई, इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को सीबीआई को सौंप दिया। उन्होंने कहा, मैं मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की बात करने वाली मोदी सरकार से जानना चाहता हूं कि क्या वह बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेगी, ताकि दोषियों को मृत्युदंड मिल सके।