मुंबई, निर्देशक लीना यादव ने फिल्म ‘शब्द’ और ‘तीन पत्ती’ के बीच पांच साल का अंतराल लिया और अब वह अपनी आगामी फिल्म ‘पाच्र्ड’ को दर्शकों को दिखाने के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि वह अपनी हर फिल्म के बाद लंबा अंतराल इसलिए हो जाता है, क्योंकि वह खुद को परंपरागत बॉलीवुड फार्मूला फिल्मों में फिट कर पाना मुश्किल मानती हैं। यादव ने बताया, “मैं विराम नहीं लेती। मेरे लिए फिल्में बनाना इसलिए मुश्किल है, क्योंकि मैं परंपरागत बॉलीवुड फार्मूला फिल्मों में खुद को फिट नहीं पाती हूं।” उन्होंने आगे बताया कि ‘शब्द’ (2005) और ‘तीन पत्ती’ (2010) के बाद लोगों ने मेरी फिल्मों की तारीफ की, लेकिन इससे पहले बनाई गई फिल्मों को लोगों ने बकवास करार दिया था। उनके अनुसार, वह अपनी फिल्मों के लिए दर्शकों की खोज में थी जिसे उन्होनें ‘पाच्र्ड’ के साथ पा लिया है।
ऐश्वर्या राय और संजय दत्त अभिनीत ‘शब्द’ एक उन्मादी लेखक के बारे में था, जबकि अमिताभ बच्चन और बेन किंग्सले अभिनीत ‘तीन पत्ती’ एक गणित-जादूगर के कारनामों के बारे में था। उनकी आगामी फिल्म ‘पाच्र्ड’ सदियों पुरानी परंपराओं के बंधन में जकड़ी गांव की चार महिलाओं के बारे में हैं। अजय देवगन द्वारा निर्मित इस फिल्म में विधवा महिलाओं, सेक्स वर्कर और वैवाहिक दुष्कर्म के प्रति समाज के नजरिए को दिखाया गया है। फिल्म 23 सितंबर को रिलीज हो रही है। फिल्म में राधिका आप्टे, तनिष्ठा चटर्जी, सुरवीन चावला, आदिल हुसैन, लहर खान और सयानी गुप्ता जैसे प्रतिभाशाली कलाकार हैं। टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में फिल्म का प्रीमियर कर चुकीं लीना का कहना है कि फिल्म सार्वभौमिक दर्शकों के लिए है। उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि ‘पाच्र्ड’ किसी विशेष दर्शक वर्ग के लिए है। यह विश्वव्यापी दर्शकों के लिए है और हर कोई इस फिल्म से जुड़ सकता है। इसकी जड़े गहराई से भारत में निहीत होने पर भी मैंने विभिन्न दर्शकों के साथ इस फिल्म को देखा है।” लीना सार्थक फिल्में बनाना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी फिल्मों पर गर्व है। टोरंटो अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में फिल्म के प्रीमियर के बाद उनके सम्मान में दर्शकों द्वारा खड़े होकर तालियां बजाने को लीना बड़ी उपलब्धि मानती हैं।