लखनऊ. उत्तर प्रदेश में युवा वर्ग को आत्मनिर्भर बनाने के लिये कई योजनायें चल रही हैं। अधिकृत सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का शुरू से ही जोर स्वरोजगार पर रहा है। चूंकि प्रदेश की आबादी सर्वाधिक है, इसी लिहाज से यूपी देश का सबसे युवा राज्य भी है। यहां के युवाओं को उनकी रुचि के अनुसार प्रशिक्षण देकर उनके कौशल को निखारा जा सकता है, उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। इसके कई लाभ होंगे।
उन्होने बताया कि प्रशिक्षित युवाओं की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में श्रम की कीमत बढ़ जाएगी। प्रशिक्षण प्राप्त जो युवा स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार स्थापित करना चाहते हैं उनकी भी सरकार उदार शर्तों पर वित्तीय मदद के साथ पैकेजिंग, ब्रांडिंग और बाजार उपलब्ध कराने तक में मदद कर रही है। एक जिला, एक उत्पाद (ओडीओपी), कौशल विकास कार्यक्रम, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, स्टार्टअप पॉलिसी, एमएसएमई को प्रोत्साहन ऐसी ही योजनाएं हैं जिनके जरिये उत्तर प्रदेश अपनी अर्थव्यवस्था का कायाकल्प कर रहा है।
एक तरफ प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट के जरिये कई नामचीन इंडस्ट्रियल घराने और खुद सरकार भी उद्योगों में भारी भरकम निवेश कर रही है। देश का दूसरा डिफेंस सेक्टर इसका प्रमाण है। दूसरी तरफ सीएम योगी की मंशा है कि क्षेत्र विशेष के उद्योगों के अनुसार ही युवाओं के कौशल का भी विकास हो। इससे वह स्थानीय स्तर पर रोजगार पाकर या खुद का रोजगार कर घर परिवार की जिम्मेदारी देखते हुए अधिक खुशहाल रह सकते हैं। हाल ही में सहारनपुर के रोजगार मेले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि सरकार युवाओं के रोजगार और स्वरोजगारइसी के लिए दक्ष बनाने के मकसद से प्रदेश के 150 आईटीआई (इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स) को प्रशिक्षण और बुनियादी स्तर की सुविधाओं के मामले में वैश्विक स्तर का बना रही है। सरकार ने युवाओं के कौशल विकास के लिए अनुपूरक बजट में भी 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।
जिले विशेष की पहचान बने कुछ उत्पादों से जुड़े शिल्पकारों का हुनर निखारने के लिए योगी सरकार -1.0 में शुरू की गई एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना बेहद सफल और चर्चित रही। बाद में केंद्र सरकार ने भी इस योजना को एडॉप्ट किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद कह चुके हैं कि अब विदेश दौरों या देश में आने वाले विदेशी डेलीगेट्स को क्या गिफ्ट दिया जाना है, इसकी चिंता उनको नहीं रहती। उनका साफ इशारा उत्तर प्रदेश के ओडोओपी उत्पादों की और ही था। अब तक इस योजना के जरिए जिला विशेष के खास उत्पादों और उनसे जुड़े स्टेकहोल्डर्स को तो लाभ मिला ही। स्थानीय स्तर पर करीब दो लाख लोगों को रोजगार भी मिला।
रोजगार के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रही विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना इसी तरह नाई, धोबी, दर्जी, लुहार, बढ़ई , मोची और टोकरी बनाने वालों के लिए योगी सरकार के पहले कार्यकाल में शुरू की गई विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना भी बेहद सफल रही। चयन के बाद इन लोगों का हुनर निखारने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। साथ ही इनका काम आसान हो, उत्पाद की गुणवत्ता ठीक हो ताकि इनके उनको बाजार में वाजिब दाम मिलें, इसके लिए टूल किट भी दिया जाता है। इस योजना से स्थानीय स्तर पर रोजगार मिलने के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है। रोजगार के अवसर अलग से बढ़ें है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से अब तक एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल चुका है।
योगी सरकार द्वारा शुरू स्टार्टअप पॉलिसी, प्रदेश को एमएसएमई सेक्टर का हब बनाने के पीछे भी यही मंशा है कि प्रदेश के युवा उद्यमी बनें। वह रोजगार मांगने वाले की बजाय रोजगार देने वाला बनें। इसीलिए सरकार ने दो चरणों में 10 लाख एमएसएमई इकाइयों के स्थापना का लक्ष्य रखा है। फिलहाल उत्तर प्रदेश करीब 96 लाख एमएसएमई इकाइयों के साथ देश में नम्बर वन पर बना हुआ है। योगी सरकार के इन्हीं प्रयासों की वजह से आज उत्तर प्रदेश देश की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। देश के जीडीपी में प्रदेश का योगदान 9.2% हो गया है। अब तक दो करोड़ से अधिक लोगों को निजी और एमएसएमई के क्षेत्र में रोजगार मिल चुका है।
इस वित्तीय वर्ष में यूपी के तीन लाख युवाओं का निखरेगा कौशल निखरेगा
युवाओं का कौशल बढ़ाने में केंद्र की मोदी सरकार भी भरपूर मदद कर रही है। हाल ही में अपने लखनऊ दौरे के दौरान केंद्रीय कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री स्वंत्रत प्रभार, जयंत चौधरी ने कहा था कि इस साल उत्तर प्रदेश के तीन लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।