राज्यसभा चुनाव- लालू की गैर-मौजूदगी के बावजूद, छक्का मारने की तैयारी मे तेजस्वी यादव
January 14, 2018
पटना, बिहार में राज्यसभा की सात सीटों के लिए फरवरी में चुनाव संभावित है। खाली होने वाली सारी सीटें जदयू-भाजपा गठबंधन की हैं। दो अप्रैल को खाली होने वाली बिहार से राज्यसभा की सात सीटों में से सभी सीटें सत्तारूढ़ गठबंधन की हैं। पांच सीटों पर जदयू एवं दो पर भाजपा का कब्जा है। राजद-कांग्रेस गठबंधन के पास एक भी नहीं है।लालू यादव की गैर-मौजूदगी के बावजूद नेता विपक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव स्टार बनकर उभरने की तैयारी मे हैं।
243 सदस्यों वाली विधानसभा में एक सीट जीतने के लिए 35 वोट की जरूरत पड़ेगी।नियमित चुनाव वाली छह में से दो सीटें निकालने में जदयू को किसी की मदद की दरकार नहीं होगी। भाजपा को दूसरी सीट के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। आनंद भूषण पांडेय के निधन के बाद भाजपा विधायकों की संख्या 52 रह गई है।इस हिसाब से राजग के पास कुल वोट 128 हैं। तीन सीटों पर जीत के समीकरण 105 से 23 ज्यादा।
राजद के अभी 79 और कांग्रेस के 27 विधायक हैं। तीन सीटों पर जीत के लिए विपक्ष को कम से कम 105 वोट चाहिए। अभी हैं सिर्फ 106 वोट। जरूरत से एक ज्यादा।अदालती झंझटों में फंसे राजद के दो विधायकों ने भी अगर पाला बदल लिया या वोट के समय अनुपस्थित हो गए तो राजद-कांग्रेस गठबंधन की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
संख्या बल के हिसाब से सत्ता पक्ष एवं विपक्ष को तीन-तीन सीटें आसानी से मिल जाएंगी। शरद यादव की सदस्यता जाने से खाली हो रही एक सीट के लिए अलग बैलेट पेपर होने के कारण उसे सत्ता पक्ष की झोली में जाना तय है।लेकिन निर्दलीय एवं राजद-कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों के सहारे राजग अपने विरोधियों का हिसाब गड़बड़ करने की कोशिश कर सकता है।
राज्यसभा चुनाव में विधायकों पर उनकी पार्टी का व्हिप लागू नहीं होता। मतदान भी गुप्त होता है।ऐसे में मुख्य मुकाबला नियमित चुनाव वाली खाली हो रही छह सीटों के लिए होगा। लालू यादव की गैर-मौजूदगी में पूरा दारोमदार नेता विपक्ष और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के कंधों पर है।तेजस्वी यादव के लिये ये बड़ी परीक्षा है।
तेजस्वी यादव ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है और पहले मैच मे ही छक्का लगाने की तैयारी कर चुकें हैं।सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी यादव ने इसके लिये दोतरफा रणनीति बनायी है। एक तरफ उन्होने अपने विधायकों को टूट से बचाने के लिये योजना बनायी है तो दूसरी तरफ वह जदयू- बीजेपी के नाराज और अन्य छोटे दलों के विधायकों के संपर्क मे भी हैं।तेजस्वी यादव निर्दलीय विधायकों को भी साध सकतें हैँ। सूत्रों के अनुसार, ये तय है कि तेजस्वी यादव जदयू-भाजपा गठबंधन से तीन सीटें छीन लेंगे।