महाकुंभ, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि हम श्रीराम को मानते हैं तो उनकी बातों को मानने में झिझक क्यों होती है।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पत्नी सविता कोविंद और बेटी स्वाति कोविंद के साथ अरैल स्थित स्वामी चिदानंद के परमार्थ निकेतन में मोरारी बापू की कथा में रविवार को शामिल हुए। कोविंद ने कथा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते कहा, “हम श्रीराम को मानते हैं तो उनकी बातों को मानने में झिझक क्यों होती है।”
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संतों और श्रद्धालुओं से कहा “ मैंने देखा है कि हम श्रीराम को मानते हैं, उनके चरित्र को मानते हैं, उनके चरित्र को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन राम की नहीं मानते हैं। जहां राम की बात मानने की आती है, वहां हम थोड़े से झिझकने क्यों लगते हैं। यह एक चुनौती है।”
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा “ राम की बातों को मानने और उनके बताए रास्तों पर कैसे चलें, इसके लिए हमें धीरे-धीरे प्रयास करना होगा ताकि प्रभु श्रीराम का चरित्र हम सब के जीवन में आए।” श्रद्धालुओं और संतों से कोविंद ने कहा, “ आप सब मेरा परिवार हैं। मेरे मन में एक ही बात है कि बापू की श्रीराम कथा श्रृंखला की 950वीं कथा है। यह एक सुखद संयोग है और हम एक हजार श्रीराम कथाओं तक पहुंचने की ओर बढ़ रहे हैं।”
इस अवसर पर मोरारी बापू ने रामनाथ कोविंद के साथ अपनी पुरानी स्मृतियों का स्मरण करते हुए कहा, “ आज भी मुझे याद है, जब आप गुरुकुल आए थे। सभी व्यवस्थाएं एक ओर थीं, पर आपकी आस्था एक ओर थी। आपने हमारे पूरे गांव को कहा था कि यदि कभी दिल्ली आओ तो कहीं और मत रुकना, राष्ट्रपति भवन में रुकना। इस प्रकार आपने राष्ट्रपति भवन को राष्ट्र भवन के रूप में सभी को दर्शन कराए।”
मोरारी बापू ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आम का पौधा भेंट किया।
स्वामी चिदानंद ने कहा “ अब समय आ गया है कि हम न बंटेंगे, न बाटेंगे, न डरेंगे, न डराएंगे, न कटेंगे, न लड़ेंगे, न लड़ाएंगे। अब समय आ गया है कि हमारे दिल और हमारे घर के आगे मोहब्बत लिखा हो। अब समय आ गया है कि हम न बंटेंगे, न बाटेंगे, न डरेंगे, न डराएंगे, न कटेंगे, न लड़ेंगे, न लड़ाएंगे। यही संगम के तट से संगम का संदेश है, जो हमारे देश के संगम को बचा के रखेगा।”
उन्होंने श्री मोरारी बापू को सनातन की परम ज्योति बताया। उन्होंने कहा कि बापू ने जिसे छू लिया, उसे अपना बना लिया। बापू का जीवन सदैव सेतु निर्माण करता रहा। इसके लिए उन्होंने अनेक संघर्ष झेले। वे अपनी हर सांस को पूरे विश्वास के साथ जी रहे हैं।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष ने कहा समुद्र मंथन संग्राम से शुरू हुआ अमृत और संगम तक पहुंचा। बापू का जीवन संग्राम नहीं, संग-राम को चरितार्थ करता है। उन्होंने कहा कि इस बार का कुंभ ग्लोबल कुंभ बन गया है। वास्तव में इस बार का कुंभ अद्भुत है।