मुंबई, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, रिलायंस न्यू एनर्जी सोलर लिमिटेड (आरएनईएसएल) अमेरीकी कंपनी अंबरी इंक में 14 करोड़ 40 लाख डॉलर के निवेश करेगी।
रिलायंस ने कहा कि कंपनी अमेरिका के मैसाचुसेट्स में स्थित अंबरी इंक के चार करोड़ 23 लाख शेयर्स को चार करोड़ डॉलर में खरीदेगी। आएएईएसएल ने अपने रणीतिक निवेशकों पॉलसन एंड कंपनी इंक एवं बिल गेट्स और कुछ अन्य निवेशकों के साथ इस सौदे की घोषणा की। निवेश से कंपनी को वैश्विक स्तर पर अपने लंबी अवधि वाले एनर्जी स्टोरेज सिस्टम को विकसित करने में मदद मिलेगी।
रिलायंस की आज यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार अंबरी इंक के पास चार से 24 घंटे तक काम करने वाले एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स का पेटेंट है। ग्रिड स्केल की ‘स्टेशनरी स्टोरेज एप्लिकेशन’ में इस्तेमाल होने वाली लीथियम-आयन बैटरी से जुड़ी लागत, सुरक्षा और लंबे समय तक न चलने जैसी समस्याओं से अंबरी की तकनीक छुटकारा दिला सकती है। इससे अक्षय ऊर्जा को आसानी से ग्रिड सिस्टम में इंटीग्रेट किया जा सकेगा। आरएनईएसएल और अंबरी भारत में बड़े पैमाने पर बैटरी निर्माण सुविधा स्थापित करने पर भी चर्चा कर रहे हैं। यह रिलायंस की ग्रीन ऊर्जा इनीशियेटिव की लागत कम करने में मददगार होगा।
उल्लेखनीय इस वर्ष जून में शेयरधारकों को संबोधित करते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने जामनगर में धीरूभाई अंबानी ग्रीन एनर्जी गीगा कॉम्प्लेक्स परियोजना के हिस्से के रूप में एनर्जी स्टोरेज के लिए एक गीगा फैक्ट्री बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था, “हम नई और उन्नत इलेक्ट्रो-केमिकल प्रौद्योगिकियों की खोजबीन कर रहे हैं, जिनका उपयोग ग्रिड बैटरी के तौर पर ऊर्जा को स्टोर करने के लिए किया जा सकता हो। हम नई पीढ़ी की स्टोरेज और ग्रिड कनेक्टिविटी के माध्यम से चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने के लिए बैटरी प्रौद्योगिकी में वैश्विक लीडर्स के साथ सहयोग करेंगे”
अंबरी 10 मेगावाट से लेकर दो गीगावाट तक की ‘एनर्जी स्टोरेज सिस्टम्स’ की परियोजनाओं को पूरा कर सकता है। कंपनी कैल्शियम और एंटीमनी इलेक्ट्रोड-बेस्ड सेल्स और कंटेनर सिस्टम बनाएगी, जो लिथियम-आयन बैटरी की तुलना में किफायती होगा। यह सिस्टम वातावरण के अनुकूल, अधिक सुरक्षित और करीब 20 वर्षों तक चल सकेगा। अंबरी सिस्टम उच्च-उपयोग वाले ग्राहकों के लिए उपयुक्त होगा। ऐसे उपयोगकर्ता जो दिन के समय सौर ऊर्जा पर निर्भर होंगे और शाम और सुबह के पीक लोड समय सिस्टम से ऊर्जा ले सकेंगे। कंपनी 2023 के बाद इसका वाणिज्यिक संचालन शुरू करेगी।