नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय और देश भर के 24 उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या कम हुई है लेकिन निचली न्यायापालिका में इस तरह के मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
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विधि मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़े के अनुसार उच्चतम न्यायालय में 2014 के अंत तक लंबित मामलों की संख्या 62,791 थी जो दिसंबर 2015 में घटकर 59,272 हो गयी। लेकिन 2016 में यह संख्या बढ़कर 62,537 हो गयी। उच्चतम न्यायालय द्वारा मुहैया कराए गए नवीनतम आंकड़े के अनुसार 17 जुलाई, 2017 तक यह संख्या घटकर 58,438 हो गयी। इनमें 48,772 दीवानी एवं 9,666 फौजदारी मामले शामिल हैं।
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इसी तरह 2014 के अंत तक देश के 24 उच्च न्यायालयों में 41.52 लाख लंबित मामले थे। दिसंबर, 2015 में यह संख्या घटकर 38.70 लाख हो गयी। लेकिन 2016 के अंत तक यह संख्या बढ़कर 40.15 हो गयी।
इसके उलट देश की न्यायिक प्रणाली का आधार समझी जाने वाली निचली अदालतों में पिछले तीन सालों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ गयी। निचली अदालतों में लंबित मामलों की संख्या 2014 में 2.64 लाख थी जो 2015 में बढ़कर 2.70 लाख हो गयी और दिसंबर, 2016 में इनकी संख्या और बढ़कर 2.74 करोड़ हो गयी।
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इस साल एक सितंबर तक उच्च न्यायालयों में 413 न्यायाधीशों की कमी थी। हालांकि स्वीकृत संख्या 1,079 है, उच्च न्यायालयों में 666 न्यायाधीश काम कर रहे हैं।
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हालांकि देश भर की निचली अदालतों में करीब 20,000 न्यायिक अधिकारियों की संख्या स्वीकृत है, वे 4,937 न्यायिक अधिकारियों की कमी का सामना कर रहे हैं।