नई दिल्ली, केरल उच्च न्यायालय द्वारा हिन्दू महिला के साथ मुसलमान पुरूष के निकाह को ‘लव जिहाद’ बताकर रद्द किये जाने के मामले में पति के आवेदन पर मामले की विभिन्न पहलुओं से जांच करने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आज उच्चतम न्यायालय से आदेश देने को कहा है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर, न्यायमूर्ति ए.के. गोयल और न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने एनआईए के नये आवेदन पर केरल निवासी शफिन जहां और राज्य पुलिस को नोटिस जारी किया है।
एजेंसी ने अपने आवेदन में कहा है कि ‘लव जिहाद’ के कथित पहलू सहित पूरे मामले की जांच के लिए उसे विशेष आदेश की जरूरत है। एजेंसी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मनिन्दर सिंह ने अदालत से कहा कि एनआईए को स्थानीय पुलिस से सभी दस्तावेज और अन्य सामग्री लेनी होगी और जांच करने के लिए विशेष आदेश की जरूरत होगी। पीठ ने एनआईए के अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवायी के लिए आज दोपहर दो बजे का समय तय किया है।
निकाह रद्द किये जाने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली जहां की याचिका पर न्यायालय ने चार अगस्त को राज्य सरकार और एनआईए से प्रतिक्रिया मांगी थी। एनआईए ने हाल के दिनों में ‘लव जिहाद’ के कुछ मामलों में जांच की है, जिनमें महिलाओं को कथित रूप से आईएसआईएस में शामिल होने के लिए सीरिया भेजा जा रहा था। मामले को गंभीर और संवेदनशील बताते हुए न्यायालय ने महिला के पिता से कहा है कि वह अपने दावों के समर्थन में साक्ष्य पेश करे। जहां का पिछले वर्ष दिसंबर में इस महिला से निकाह हुआ था।
केरल उच्च न्यायालय द्वारा निकाह को रद्द किये जाने के बाद उसने न्यायालय में फैसले को चुनौती देते हुए कहा है कि यह देश में महिला की स्वतंत्रता का अपमान है। इस मामले में हिन्दू महिला ने पहले इस्लाम कबूल किया और फिर निकाह किया। यह आरोप है कि महिला की सीरिया में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के लिए भर्ती की गई थी और उससे निकाह करने वाला जहां सिर्फ एक कठपुतली था। उच्च न्यायालय ने निकाह को रद्द करार देते हुए मामले को ‘लव जिहाद’ की घटना बताया और राज्य पुलिस को ऐसे मामलों की जांच करने को कहा।