Breaking News

लापरवाही से जा सकती है आंखों की रोशनी

eyesमोतियाबिंद क्यों होता है इसके कारणों के बारे में स्पष्ट रूप से पता नहीं है, इसलिए पूरी तरह इसकी रोकथाम संभव नहीं है। हालांकि कुछ लक्षण हैं जिनकी जितनी जल्दी हो सके पहचान करके मोतियाबिंद को गंभीर होने से रोका जा सकता है। अगर आपको दूर या पास का कम दिखाई दे, गाड़ी ड्राइव करने में समस्या हो या आप दूसरे व्यक्ति के चेहरे के भावों को न पढ़ पाएं तो समझिए की आप की आंखों में मोतियाबिंद विकसित हो रहा है। सूर्य की अल्ट्रावायलेट किरणें भी मोतियाबिंद का कारण बन सकती हैं, इसलिए गॉगल का इस्तेमाल करके अपनी आंखों को इनके हानिकारक प्रभावों से बचाएं। अपनी आंखों की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखें क्योंकि क्षतिग्रस्त उत्तक मोतियाबिंद का कारण बन सकते हैं।

मोतियाबिंद क्या होता है आंखों का स्पष्ट व पारदर्शी लेंस जो नजर को फोकस करने की विधि का एक मुख्य हिस्सा है, उम्र के साथ धुंधला और अपारदर्शी होने लगता है। इसके कारण दृष्टि के बाधित होने को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया कहते हैं। लेंसों के धुंधले पडने के कारण लाइट लेंसों से स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाती, जिससे दृष्टि कमजोर पड़ जाती है। नजर धुंधली होने के कारण मोतियाबिंद से पीड़ित लोगों को पढने, नजर का काम करने, कार चलाने (विशेषकर रात के समय) में समस्या आती है। मोतियाबिंद के कारण है कि बढ़ती उम्र मोतियाबिंद का एक प्रमुख कारण है। उम्र के साथ लेंस में मौजूद प्रोटीन धुंधलाने लगता है। शुरूआती अवस्था में लेंस प्रकाश की किरणों को अनियमित रूप से तिरछा कर देता है, जिसे ठीक करने के लिए ज्यादा नंबर वाले चश्मे की जरूरत पड़ती है।

मोतियाबिंद के अन्य कारणों में मेटाबोलिज्म संबंधी विकार, सूरज की रोशनी में देर तक रहना व धूम्रपान प्रमुख हैं। आंख में चोट लगना भी मोतियाबिंद की वजह हो सकता है। लक्षण मोतियाबिंद रोजमर्रा की जिन्दगी को मुश्किल बना सकता है। इसके लक्षण इस प्रकार है, दृष्टि में धुंधलापन या अस्पष्टता, बुजुर्गों में निकट दृष्टि दोष में निरंतर बढ़ोतरी, रंगों को देखने की क्षमता में बदलाव क्योंकि लेंस एक फिल्टर की तरह काम करता है। रात में ड्राइविंग में दिक्कत आना जैसे कि सामने से आती गाड़ी की हैडलाइट से आंखें चौंधियाना, दिन के समय आंखें चौंधियाना, दोहरी दृष्टि (डबल विजन), चश्मे के नंबर में अचानक बदलाव आना। मोतियाबिंद के प्रकार मोतियाबिंद के विकसित होने के कारणों के आधार पर इसके प्रमुख प्रकार निम्न हैं। उम्र से संबंधित मोतियाबिंद ये मोतियाबिंद उम्र बढने के कारण निर्मित होता है।

कोजेनाइटल कैटरेक्ट कुछ बच्चे मोतियाबिंद के साथ जन्म लेते हैं। इसका कारण जन्म से पहले का संक्रमण, चोट लगना या गर्भ में बच्चे का विकास ठीक प्रकार से न हो पाना। कईं लोगों में मोतियाबिंद बचपन में ही विकसित हो जाता है। द्वीतीय मोतियाबिंद दूसरी चिकित्सीय स्थितियों जैसे डायबिटीज, विषैले पदार्थों का एक्सपोजर, कुछ निश्चित दवाईयां अल्ट्रावायलेट रेडिएशन के कारण विकसित होने वाले मोतियाबिंद को द्वीतीय मोतियाबिंद कहते हैं। ट्रामैटिक कैटरेक्ट्स यह आंखों में चोट लगने के बाद विकसित होता है। कुछ और चीजें हैं जिनके कारण आपमें मोतियाबिंद विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है उसमें सम्मिलित है सिगरेट का धुआं, वायु प्रदुषण और अत्यधिक मात्रा में शराब पीना। रिस्क फैक्टर्स फैक्टर्स जो मोतियाबिंद का रिस्क बढ़ा देते हैं, उम्र का बढना, डायबिटीज, अत्यधिक मात्रा में शराब का सेवन, सूर्य के प्रकाश का अत्यधिक एक्सपोजर, मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास, उच्च रक्तदाब, मोटापा, आंखों में चोट लगना या सूजन, पहले हुई आंखों की सर्जरी, कार्टिस्टेरॉइड मोडिकेशन का लंबे समय तक इस्तेमाल, धुम्रपान।

रोकथाम हालांकि इसके बारे में कोई प्रमाणित तथ्य नहीं हैं कि कैसे मोतियाबिंद को रोका जा सकता है या इसके विकास को धीमा किया जा सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि कईं रणनीतियां मोतियाबिंद की रोकथाम में सहायक हो सकती हैं, जिसमें सम्मिलित है… नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं मोतियाबिंद और दूसरी स्थितियां जैसे ग्लुकोमा बुजुर्गों में अधिक सामान्य है इसलिए नियमित अंतराल पर आंखों की जांच कराते रहना चाहिए। यह और जरूरी हो जाता है जब आपको कोई रिस्क फैक्टर हो या आंखों की बीमारियों का पारिवारिक इतिहास हो। चालीस के बाद दो साल में एक बार आंखों की जांच जरूर कराएं और पचास के बाद साल में एक बार। जिन लोगों को आंखों की कोई समस्या हो या कोई ऐसी मेडिकल कंडीशन जैसे डायबिटीज जिससे आंखों के रोगों का खतरा बढ़ जाता है उन्हें हर छह महीने में जांच कराना चाहिए।

सनग्लासेस लगाएं सूरज की अल्ट्रावायलेट किरणें मोतियाबिंद विकसित करने में सहायता कर सकती हैं। जब भी बाहर धूप में निकलें सनग्लासेस लगाएं यह यूवी किरणों को ब्लॉक कर देता है। अगर आपको डायबिटीज या दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं हैं जिससे मोतियाबिंद का खतरा बढ़ जाता है उनका उचित उपचार कराएं। अपना वजन सामान्य बनाएं रखें। संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें जिसमें फल और सब्जियां भरपूर मात्रा में हों। धुम्रपान छोड़ें और शराब का सेवन कम से कम करें। उपचार मोतियाबिंद के इलाज के लिए ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प है। इस ऑपरेशन में डॉक्टर द्वारा अपारदर्शी लेंस को हटाकर मरीज की आंख में प्राकृतिक लेंस के स्थान पर नया कृत्रिम लेंस आरोपित किया जाता है जिससे मरीज के लिए स्पष्ट देखना संभव होता है। हालांकि पढने या नजर का काम करने के लिए निर्धारित नंबर का चश्मा पहनने की जरूरत पड़ती है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान मोतियाबिंद सर्जरी रिस्टोरेटिव से रिफ्रैक्टिव सर्जरी में बदल चुकी है, यानी कि अब यह न सिर्फ मोतिया का इलाज करती है बल्कि धीरे-धीरे चश्मे पर निर्भरता को भी समाप्त करती जा रही है। हाल के वर्षों में आधुनिक तकनीकों द्वारा मोतियाबिंद की सर्जरी में लगाए जाने वाले चीरे का आकार घटता गया है, जिससे मरीज को सर्जरी के बाद बेहतर दृष्टि परिणाम एवं शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिलता है।

मोतियाबिंद की सर्जरी कब करानी चाहिए? जब मोतियाबिंद आपके दैनिक कार्यों में दिक्कत पैदा करने लगे तो आपको सर्जरी करा लेनी चाहिए, मोतिये के पकने का इंतजार नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से सर्जरी ज्यादा जटिल हो जाती है। ज्यादातर दोनों आंखों की सर्जरी एक साथ नहीं की जाती है। अगर एक आँख में सर्जरी के बाद सुधार अच्छा हो तो दूसरी आंख की सर्जरी अगले दिन भी की जा सकती है। यह मरीज और डॉक्टर दोनों की सहूलियत पर निर्भर करता है। मोतियाबिंद सर्जरी के बाद की सावधानियां सर्जरी के बाद जल्द ही आप चलने, पढने, लिखने और टीवी देखने जैसे कार्य कर सकते हैं। हालांकि सर्जरी के बाद पहले हफ्ते के दौरान थकाने वाले कार्य न करना बेहतर है। देखने की क्षमता में सुधार पर ही निर्भर होगा कि आप ड्राइविंग कब शुरू कर सकते हैं। खाने पीने में कोई परहेज नहीं होता है। कुछ मामलों में मरीज को सर्जरी के तुरंत बाद साफ दिखने लगता है। हालांकि, ज्यादातर मरीजों को एक या दो दिन बाद साफ नजर आने लगता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *