नयी दिल्ली, राज्यसभा में गुरूवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच नोक झोंक के चलते हुए हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही अपराह्न दोपहर दो बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
इससे पहले भी सदन में शोर शराबे के कारण सुबह भी कार्यवाही बारह बजे तक स्थगित करनी पड़ी थी जिससे शून्यकाल और प्रश्नकाल की कार्यवाही नहीं हो सकी।
इस बीच कार्यवाही में बाधा डालने और आसन की अवहेलना के लिए राज्यसभा के तीन और सदस्यों को इस सप्ताह के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया। राज्यसभा से अब तक 23 सदस्य निलंबित किये जा चुके हैं।
सुबह के स्थगन के बाद जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई सदन के नेता पीयूष गोयल ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए अनुचित शब्दों के इस्तेमाल का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि यह देश के सर्वोच्च पद का अपमान है। सत्ता पक्ष के सभी सदस्य अपनी जगह पर खड़े होकर श्री चौधरी की टिप्पणी पर विरोध व्यक्त कर रहे थे। इससे पहले सुबह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी यह मामला उठाते हुए श्री चौधरी की टिप्पणी पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी की मांग की थी।
उधर विपक्षी दलों के सदस्य सत्ता पक्ष के सदस्यों का प्रतिवाद करते हुए महंगाई पर चर्चा कराने तथा निलंबित सदस्यों का निलंबन रद्द करने की मांग कर रहे थे। वे आसन के निकट आकर जोर जोर से बोल रहे थे।
इसी बीच संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने आम आदमी पार्टी के सुशील गुप्ता, संजय पाठक तथा निर्दलीय अजीत कुमार भुईंया द्वारा सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाने तथा आसन की अवहेलना करने के लिए उन्हें इस सप्ताह के लिए सदन से निलंबित करने का प्रस्ताव रखा जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
विपक्षी दलों ने इसका कड़ा विरोध किया और मत विभाजन की मांग की। उप सभापति हरिवंश ने सदस्यों से शांत होकर अपनी जगहों पर जाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सदन में अव्यवस्था तथा शोर शराबे में मत विभाजन नहीं कराया जा सकता। उन्होंने कहा कि पहले सदस्य अपनी जगह पर जायें तो वह मत विभाजन कराने के लिए तैयार हैं। उनकी अपील का विपक्षी सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने सदन की कार्यवाही अपराह्न दो बजे तक स्थगित कर दी।
राज्यसभा में मंगलवार को विपक्ष के 19 सदस्यों तथा बुधवार को एक सदस्य और आज तीन सदस्यों को निलंबित किया गया है। इससे सदन से इस सप्ताह के लिए निलंबित सदस्यों की संख्या 23 पहुंच गयी है। उधर लोकसभा से भी चार सदस्यों को निलंबित किया गया है।
यह पहला मौका है जब राज्यसभा से इतनी बड़ी संख्या में सदस्यों को निलंबित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के अपने अपने रूख पर अड़े रहने के कारण 18 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र के दौरान हंगामे के कारण कार्यवाही बाधित हुई और कोई ठोस विधायी कामकाज नहीं हो सका है।