पुणे, हाल में सीमित ओवरों की कप्तानी छोड़ने वाले दिग्गज महेंद्र सिंह धोनी की जगह पर कप्तान बने युवा विराट कोहली इंगलैंड के खिलाफ कल यहां जब पहले एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में टीम की अगुवाई करने के लिये उतरेंगे तो उसके साथ ही भारतीय क्रिकेट में नये युग की भी शुरूआत होगी। कोहली को एक ऐसे कप्तान की परंपरा को आगे बढ़ाना है जिनकी अगुवाई में भारत ने वनडे और टी20 के विश्व कप जीते।
कोहली ने हालांकि टेस्ट कप्तान के रूप में अपनी योग्यता साबित कर दी है और अब उन्हें वही क्षमता सीमित ओवरों की क्रिकेट में भी दिखानी होगी। धोनी पहली बार कोहली की अगुवाई में खेलेंगे और उनकी भूमिका विकेटकीपर बल्लेबाज तक सीमित रहेगी और यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नई व्यवस्था भारत के लिये किस तरह से काम करती है। धोनी को हमेशा शांतचित कप्तान माना जाता रहा है जबकि कोहली मौखिक अभिव्यक्ति और मैदान पर अपनी भावनाएं जताने से परहेज नहीं करते।
इंग्लैंड के खिलाफ तीन वनडे से ही भारत को जून में इंग्लैंड में होने वाली चैंपियन्स ट्राफी के लिये भी अपनी तैयारियों को पुख्ता अंजाम देना है जिसमें वह मौजूदा चैंपियन है। टीम के लिये यह वनडे श्रृंखला बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि टेस्ट मैचों में लगातार सफलता से शीर्ष पर पहुंचने वाले भारत का हाल में वनडे में उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा। भारत ने 2015 विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचने के बाद जो 24 वनडे मैच खेले उनमें से उसने 11 मैच गंवाये। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका आस्ट्रेलिया और बांग्लादेश में श्रृंखलाएं गंवायी लेकिन इस बीच जिम्बाब्वे और न्यूजीलैंड से श्रृंखलाएं जीती।