नई दिल्ली, कांग्रेस सांसद पी.एल. पुनिया ने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को विश्वविद्यालयों में दलित छात्रों की शिकायतों के निवारण तथा उत्पीड़न को रोकने के लिए कानून में संशोधन करके संस्थागत व्यवस्था बनाने के संबंध में पत्र लिखा है। जावड़ेकर को लिखे पत्र में पुनिया ने कहा कि विश्वविद्यालयों में या तो अनुसूचित जाति, जनजाति प्रकोष्ठ ही नहीं हैं और यदि हैं तो सिर्फ कागजी कार्यवाही में हैं। यही कारण है कि दलित छात्रों की समस्याओं की न तो सुनवाई होती है और न ही समाधान। परेशान होकर छात्र या तो पढ़ाई छोड़ देते हैं या फिर आत्महत्या कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाओं में दलित उत्पीड़न के संबंध में प्रत्येक संसद सत्र में शून्यकाल, विशेष उल्लेख, अल्पकालीन चर्चा तथा पत्र सहित प्रश्नों के माध्यम से सरकार का ध्यान आकर्षित किया जाता रहा है। चाहे वह रोहित वेमुला का मुद्दा हो या फिर वर्तमान में लखनऊ स्थित डा. भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय में छात्रों के निष्कासन का, सभी प्रकरणों में दलित विरोधी हीनभावना, अत्याचार व शोषण के विरूद्ध छात्रों का पक्ष रखा है। पुनिया ने बताया कि राज्यसभा में उन्होंने प्रश्न पूछा था लेकिन तीन सत्र गुजर जाने के बाद भी उसका उत्तर नहीं दिया गया है।