लखनऊ, सपा एमएलसी आशु मलिक ने रामगोपाल यादव द्वारा आज सुबह जारी पत्र का फेसबुक पर जनाब देते हुये उन पर बीजेपी एजेंट होने का आरोप लगाया है। उनके फेसबुक वाल पर की गई टिप्पणी का लब्बो लुआब है कि प्रोफेसर रामगोपाल यादव सीबीआई जांच मे फंसे होने के कारण बीजेपी के हाथों मे खेल रहें हैं। वह बीजेपी के इशारे पर अखिलेश सरकार को गिराने और समाजवादी पार्टी को तोड़ने का घिनौना खेल खेल रहें हैं।
प्रस्तुत है सपा एमएलसी आशु मलिक द्वारा अपनी फेसबुक वाल पर की गई टिप्पणी –
न कहता है कि मोहब्बत के लिए होते हैं
सब रिश्ते तो यहां जरूरत के लिए होते हैं
हर दिन की तरह आज का सुरज भी लखनऊ में निकला है लैकिन आज अवध की फ़िज़ाओं में मुम्बई से भेजी हुई नफ़रत है ईर्ष्या है पिता व पुत्र को लड़ाने की साज़िश है भय दिखाने का हथकनडा है फरमाबरदार बेटे को बगावत पर उतारने की पलानिंग है बनती हुई सरकार को बीजेपी के इशारे पर मलयामेट करने की चेसठा है, साफ़ सुथरी इमेज के मुख्यमंत्री की छवी को धूमिल करने की घिनौनी साज़िश है, यह कौन हैं जो दौलत और माया नगरी मुम्बई में बैठ कर उत्तर प्रदेश की फ़िज़ाओं को मुक़द्दर कर रहे हैं, यह कौन हैं जिन्होंने ज़मीन पर कभी राजनीति नहीं की , यह कौन हैं जिन की ज़िन्दगी का एक क़दम भी नेता जी बैसाखी के बेगैर नहीं उठता था , यह कौन हैं जिन्होंने समाजवादी पार्टी को बीजेपी की राह पर लगाने की कोशिश की उन्हें पुरा देश और प्रदेश जानता है। आज उन्होंने मुम्बई से नफ़रत का पैग़ाम भेजा है, सपा कायकर्ताओं को गुमराह करने की कोशिश की है हमारे नेताओं पर इल्ज़ाम लगाया है, जो मुख्यमंत्री के हमदर्द हैं उन पर इल्ज़ाम लगाया है। दामन को ज़रा देख ज़रा बन्द कुबा देख।
बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी कौन नहीं जानता कि सपा और इस की सरकार को किस ने हाईजैक कर रखा था, किस पर सीबीआई इनकवारी चल रही है, किस ने मुख्यमंत्री को मुसलमानों के विकास से दूर किया, किस ने मुख्यमन्त्री को कहा कि अपनी इमेज मुल्ला मुलायम की मत बनाओ और मुसलमानों व यदुवंशियों से दूर रहो, किस ने बीजेपी के दबाव में सपा को बिहार के महागठबंधन से अलग किया, किस ने क़दम क़दम पर सैकुयलरजिम का सौदा क्या, जनता सब जानती है, आज पार्टी को एकजुट करने कि कोशिश होरही है तो मिरज़ा सलामत को मिर्ची लग रही है आज वह फनने खाँ बनकर मुख्यमन्त्री की वफ़ादारी का नाटक कर के कायकर्ताओं को वरगला रहे है लेकिन वह भुल गए कि कल उन्होंने ही मुख्यमन्त्री को हटाकर ख़ुद इस कुर्सी को हथियाने कि साज़िश की थी।
याद रखिये समाजवादी का मतलब माननिय मुलायम
सिंह यादव है देश का मज़दूर किसान ग़रीब अमीर पिछड़ा और मुसलमान उन में गहरी आस्था रखता है उन से प्यार करता है उनको अपना मसीहा मानता है उन के ख़िलाफ़ जो भी साज़िश करेगा जनता उसे कभी माफ़ नहीं करेगी।
मैं अपने यह जज़्बात राजनीति से प्रेरित होकर नहीं लिख रहा हूँ यह मेरा दर्द है जिस को छुपाना मैं अपने लिए गुनाहे अज़ीम मानता हुँ। मैं एक गरीब मुस्लिम परीवार से हूँ जिसे माननिय नेता जी ने उँगली पकड़ कर इस मुक़ाम पर पहुँचाया है, मेरा यह धर्म है कि मैं दिलों कोजोडूँ , दूरियाँ मिटाऊँ और अपने भविष्य की परवाह किए बेगैर अपने नेता का वफ़ादार रहूँ ताकि मेरी वजह से मुसलमानों के माथे पर ग़द्दारी का इल्ज़ाम न लगे, जनता मुझे वक़्त का पुजारी न कहें, हाँ एक बात और, मैं ग़रीब परिवार से ज़रूर हुँ लेकिन ग़रीबों की ज़िन्दगी में भी कुछ सिद्धान्त होते है, मेरे लिए नेता जी का सम्मान मेरी ज़िन्दगी का सब से बड़ा सरमाया है सब से बड़ी दौलत है जिसे मैं संभाल कर रखना चाहता हुँ समय बताएगा के सपा के सच्चे सिपाही कौन थे और किस ने इसे एटीएम मशीन की तरह इस्तेमाल किया, जो मेरे मित्र प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप से मुझे समझा रहे हैं उन्हें यह बता ज़रूरी है कि मेरा ईमान वफ़ादारी है और मैं इस से एक क़दम भी पीछे नहीं हट सकता, मेरे लिए पूरी कायनात से ज़्यादा अहम मानिये नेता जी हैं।शुक्रिया
नेताजी के तजुर्बों से भी कुछ सीख लेते साहब
आपने तो सिर्फ किताबें पढ़ी
सपा एमएलसी आशु मलिक की फेसबुक वाल से साभार