नयी दिल्ली, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा है कि सरकार जिन योजनाओं को उपलब्धियां बता रही हैं वे योजनाएं कांग्रेस सरकार में बनी थीं लेकिन मोदी सरकार ने उनके नाम बदले और अब उन्हीं योजनाओं को जन धन की लूट का जरिया बनाया जा रहा है।
मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि मोदी सरकार ने बैंकों को जन-धन की लूट का साधन बनाया है और खाते में न्यूनतम राशि नहीं होने का बहाना बनाकर हजारों खाते बंद कर गरीबों का पैसा डकारा है। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने गरीब जन-धन बैंक खाताधारकों को धोखा नहीं दिया है तो उसे उनके सवालों का जवाब देना चाहिए।
उन्होंने सरकार से तीन सवाल किए और पूछा “क्या ये सच नहीं कि 10 करोड़ से ज़्यादा जन-धन बैंक खाते बंद हो चुके हैं जिनमें क़रीब 50 प्रतिशत खाते महिलाओं के हैं। इनमें दिसंबर 2023 तक 12,779 करोड़ रुपए जमा थे। बीस फीसद जन-धन खाते बंद होने का ज़िम्मेदार कौन है। क्या यह सही नहीं है कि पिछले 9 वर्षों में जनधन खातों में औसत बैलेंस 5000 रुपये से कम यानी सिर्फ 4,352 रुपये है। इतने से पैसों में भाजपाई कमरतोड़ महंगाई के बीच, एक गरीब व्यक्ति कैसे अपना जीवन यापन कर सकता है।”
मल्लिकार्जुन खडगे ने संसद में सरकार के एक जवाब का हवाला देते हुए कहा “क्या ये सच नहीं है कि आम खातों और जन-धन खातों को जोड़कर, मोदी सरकार ने 2018 से 2024 तक कम से कम 43,500 करोड़ रुपए केवल न्यूनतम बैलेंस न होने पर, अतिरिक्त एटीएम ट्रांजेक्शन, एसएमएस शुल्क पर वसूली करने से लूटे हैं।”
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा “आज कांग्रेस-संप्रग की नो फ्रिल्स अकाउंट्स योजना जिसके तहत मार्च 2014 तक 24.3 करोड़ ग़रीबों के लिए बैंक खाते खोले गए थे उसके नाम बदलने की 10वीं वर्षगांठ है। मोदी सरकार जिसका ढिंढ़ोरा आज पीट रही है उसकी असलियत समझें – 2005 में, कांग्रेस-संप्रग सरकार ने बैंकों को ‘नो फ्रिल्स एकाउंट’ खोलने का निर्देश दिया और 2010 में रिज़र्व बैंक ने बैंकों को 2010 से 2013 तक वित्तीय सामवेसी योजना तैयार करने और लागू करने के लिए कहा। वर्ष 2011 में कांग्रेस-संप्रग सरकार ने मेजर फाइनेंसियल इंकलुसन इनिशिएटिव ‘स्वाभिमान’ लाँच की और 2012 मे ‘नो फ्रिल एकाउंट्स’ को सरकारी नाम मिला- बेसिक सेविंग डिपाजिट एकाउंट मिला और 2013 में, बैंकों को फाइनेंशियल इंक्लूजन प्लान 2016 तक बढ़ाने का निर्देश दिया गया। इसी का नाम बदलकर मोदी सरकार ने जन- धन योजना रखा।”
उन्होंने कहा “ वर्ष 2013 में ही कांग्रेस-संप्रग ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम और इसे 291 ज़िलों मे एलपीजी सब्सिडी देने के लिए आधार से जोड़ा। उस वक्त विपक्ष में रही भाजपा शासित राज्यों ने इस ‘पहल’ योजना का विरोध किया। मोदी जी ने आधार का भी विरोध किया था। आज उन्हीं योजनाओं का इस्तेमाल कर के मोदी जी विज्ञापनबाज़ी में लीन हैं।”