लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हर व्यक्ति और संस्था के सरकारी अनुदान की आस लगाने को गैरजरूरी बताते हुए आज कहा कि सब्सिडी से ना कभी किसी का समाधान हुआ है और ना ही होगा। हम सभी को उन्नति के लिये मौजूदा सम्भावनाओं को विकसित करना चाहिये।
मुख्यमंत्री ने प्रगतिशील दुग्ध उत्पादकों को पुरस्कार वितरित किये जाने के लिये आयोजित कार्यक्रम में कहा ‘‘आज हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हर व्यक्ति केवल सरकार से सब्सिडी चाहता है। उसे हम स्वावलम्बन की ओर अग्रसर नहीं करना चाहते। हमने हर व्यक्ति और संस्था को ऐसा बना दिया है कि बिना सहारे के वह चल ही नहीं सकता।’’
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा बाजार है। बेहतरीन संसाधनों और सम्भावनाओं वाला उत्तर प्रदेश खुद में हर दुग्ध उत्पादक को आत्मनिर्भर बना सकता है लेकिन आज सभी सब्सिडी की तरफ देखते हैं। सब्सिडी से कभी किसी का समाधान नहीं हुआ है, नहीं कभी होने वाला है। हमें मौजूद सम्भावनाओं को विकसित करना होगा।
योगी ने पूछा कि प्रदेश में आखिर केवल 14 डेयरी ही क्यों काम कर रही हैं। हर जिले में एक डेयरी स्थापित होनी चाहिये। पूर्व में प्रदेश में 65-70 डेयरियां थीं मगर उनमें पैदा हुए विकारों का समय से उपचार नहीं होने के कारण उनमें से ज्यादातर बंद हो गयी। उन्हें नये सिरे से स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हुई है। हम उन्हें एक सकारात्मक सोच के साथ शुरू करेंगे। वह आत्मनिर्भर होंगी और उन्हें सब्सिडी के लिये हाथ फैलाने की जरूरत नहीं होगी।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में बेहद कम संख्या में दुग्ध समितियां संचालित होने पर अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां 75 जिले, 350 तहसीलें, 823 विकास खण्ड और 653 नगर निकाय हैं, मगर दुग्ध समितियां मात्र 6735 ही हैं। यह संख्या 60 हजार के आसपास होनी चाहिये। दुग्ध विकास विभाग इस लक्ष्य को जितनी जल्दी प्राप्त करेगा उतनी तेजी से हम इस अभियान को आगे बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दुग्ध उत्पादन क्षेत्र में व्यापक सम्भावनाएं हैं और वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लक्ष्य की प्राप्ति में यह क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। मुख्यमंत्री ने दुग्ध उत्पादकों का आह्वान करते हुए उन्हें ‘जहां चाह, वहां राह’ की मिसाल दी।