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गूगल ने अंतरिक्ष में पहले मानव संदेश पहुंचने की याद में बनाया डूडल

अमेरिकी इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने आज (16 नवंबर) को अरसीबो मैसेज (Arecibo Message) की 44वीं सालगिरह पर खास डूडल बनाया। काले रंग के बैकग्राउंड पर यह डूडल दिखने में बेहद रंग-बिरंगा नजर आ रहा था। गूगल के अंग्रेजी शब्द में आने वाले दोनों ओ (O) इसमें अनोखे संदेश वाले डिजाइन में लिखकर दर्शाए गए थे, जबकि इस डूडल पर क्लिक करने पर इससे संबंधित जानकारियां व खबरें खुलकर सामने आ जाती है।

बता दें कि आज से करीब 44 साल पहले इंसान ने धरती से बाहर तारों को पहला रेडियो मेसेज भेजा था और Google ने आज इंसान की उसी उपलब्धि को सम्मानित करते हुए एक स्पेशल डूडल तैयार किया है। इस मेसेज को नाम दिया गया था अरसीबो मेसेज (Arecibo message) दरअसल वैज्ञानिकों का समूह Puerto Rico के जंगलों में स्थित अरसिबो ऑब्ज़र्वेटरी में इकट्ठे हुए और पहली बार अपने ग्रह पृथ्वी के बाहर रेडियो मेसेज भेजा।

बात 1974 की है। दुनिया के कुछ मशहूर अंतरिक्ष वैज्ञानिक प्यूर्टो रिको के घने जंगलों में बनी अरसिबो ऑब्जर्वेट्री में जुटे। इनका मकसद था ब्रह्मांड में किसी ऐसी जगह का पता लगाना जहां हमारे ग्रह यानी पृथ्वी की तरह मानव रहते हों। सवाल ये था कि अगर किसी और ग्रह पर मानव की मौजूदगी है तो उनसे संपर्क कैसे किया जाए। इसके लिए तीन मिनट का एक रेडियो मैसेज भेजा गया। चूंकि इसे अरसिबो ऑब्जर्वेट्री से भेजा गया, इसलिए इसका नाम Arecibo message दिया गया।

3 मिनट के इस रेडियो मेसेज में 1,679 बाइनरी डिजिट्स (दो प्राइम नंबरों को मल्टीपल) था, जिन्हें एक ग्रिड यानी 23 कॉलम और 73 पंक्तियों में व्यवस्थित किया जा सकता था। नंबरों की इस सीरीज का लक्ष्य सितारों का वह समूह था, जोकि पृथ्वी से M-13, 25,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित था। यह ब्रॉडकास्ट काफी शक्तिशाली था क्योंकि इसने अपने 305 मीटर के एंटीना से जुड़े अरसीबो के मेगावाट ट्रांसमीटर का उपयोग किया था।

इस ऐतिहासिक ट्रांसमिशन का मुख्य उद्देश्य अरसीबो द्वारा हाल ही में अपग्रेड किए गए रेडियो टेलिस्कोप की क्षमताओं को प्रदर्शित करना था। गूगल के मुताबिक, चूंकि भेजा गया अरसीबो मेसेज अपने तय लक्ष्य तक पहुंचने में करीब 25 हजार साल का समय लेगा, इसलिए मानवजाति को लंबे वक्त तक इसका इंतज़ार करना होगा। हालांकि यह इंतज़ार कितना लंबा होगा, इस बारे में कोई नहीं जानता। अभी तक यह अरसीबो मेसेज सिर्फ 259 ट्रिलियन माइल (259 trillion miles) तक ही पहुंच पाया है। यानी आज भी मानवजाति भेजे गए उसे अरसीबो मेसेज यानी रेडियो मेसेज को वापस फिर से सुन पाने का इंतज़ार कर रही है।