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देश की आजादी के बाद इस्तीफा देने वाले पांचवें RBI गवर्नर बने उर्जित पटेल

मुंबई, रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने कल अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की चार दिन बाद होने वाली अहम बैठक से पहले आया है। इस बैठक में सरकार के साथ उभरते मतभेद वाले मुद्दों पर विचार विमर्श होने की उम्मीद थी।

पटेल, 1990 के बाद इस्तीफा देने वाले पहले गवर्नर हैं। अपने संक्षिप्त वक्तव्य में उन्होंने कहा कि उन्होंने ‘‘व्यक्तिगत कारणों’’ से इस्तीफा दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके इस्तीफे के बाद कहा है कि पटेल की कमी बहुत खलेगी। पटेल के स्थान पर नये गवर्नर की नियुक्ति को लेकर अभी कोई घोषणा नहीं की गई है। पटेल का तीन साल का कार्यकाल अगले साल सितंबर में पूरा होना था। वह दूसरे कार्यकाल के लिये भी पात्रता रखते थे। उनसे पहले के कई गवर्नरों को दूसरा कार्यकाल दिया गया। हालांकि, अपनी बात खुलकर बोलने वाले रघुराम राजन जैसे पूर्व गवर्नर सहित कुछ गवर्नर इसका अपवाद रहे हैं।

पटेल ने अपने बयान में कहा है, ‘‘व्यक्तिगत कारणों से मैंने तुरंत प्रभाव से अपने पद से हटने का फैसला किया है।’’ उन्होंने आगे कहा है, ‘‘यह मेरा सौभाग्य रहा है कि पिछले कई साल तक मुझे रिजर्व बैंक में विभिन्न पदों पर रहते हुये काम करने का गौरव प्राप्त हुआ । रिजर्व बैंक गवर्नर के इस्तीफे की खबर आते ही विपक्ष ने सरकार पर हमला करने में देरी नहीं की। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि स्वाभिमान रखने वाला कोई भी विद्वान अथवा अकादमिक इस सरकार के साथ काम नहीं कर सकता है। पटेल के पूर्ववर्ती गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि यह इस्तीफा ऐसा है जिसे लेकर हर एक भारतीय को चिंतित होना चाहिये क्योंकि वृद्धि, निरंतर आर्थिक वृद्धि और अर्थव्यवस्था में स्वाभाविक न्याय के लिये हमारे संस्थानों की मजबूती वास्तव में काफी महत्वपूर्ण है।

पटेल ने जनवरी 2013 में डिप्टी गवर्नर का पद संभालने से पहले भारतीय नागरिकता हासिल की थी। वह केन्याई नागिरक थे। आक्सफोर्ड से प्रशिक्षित पटेल के बारे में शुरुआत में लगा था कि वह सरकार की दिशा में ही आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने नवंबर 2016 में एक झटके में अर्थव्यवस्था से 500 और 1000 रुपये के नोट वापस लेने के फैसले का समर्थन किया था। उसके बाद से उन्होंने फंसे कर्ज से जूझती बैंकिंग प्रणाली को दुरुस्त करने और कर्ज नहीं लौटाने वालों को दंडित करने को लेकर एक तरह से बड़ी लड़ाई छेड़ दी थी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पटेल के इस्तीफे के बाद अलग से जारी ट्वीट में पटेल की सेवाओं के लिये उनका धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, ‘‘डा उर्जित पटेल की इस देश को रिजर्व बैंक के गवर्नर और डिप्टी गवर्नर के तौर पर दी गई सेवाओं की सरकार पूरी सिद्दत के साथ सराहना करती है। मुझे उनके साथ काम करने में काफी अच्छा लगा और उनकी विद्वता का लाभ मिला।’’

आरएसएस के विचारक और रिजर्व बैंक निदेशक मंडल में स्वतंत्र निदेशक एस गुरुमूर्ति ने पटेल के इस्तीफे को आश्चर्यचकित करने वाला बताया। उनहोंने कहा कि उनके इस्तीफे से सरकार और केन्द्रीय बैंक के बीच विवादित मुद्दों पर जो सामंजस्य बन रहा था उन प्रयासों को झटका लगेगा। गुरुमूर्ति रिजर्व बैंक पर उसके अधिशेष कोष का कुछ हिस्सा सरकार के साथ बांटने को लेकर जोर दे रहे थे। उन्होंने कहा कि 19 नवंबर को रिजर्व बैंक निदेशक मंडल की बैठक काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई थी। इसके बाद पटेल का इस्तीफा आना उनके लिये चकित करने वाला है। सरकार और रिजर्व बैंक के बीच पिछले कुछ महीनों से अर्थव्यवसथा के कुछ क्षेत्रों में नकदी की उपलब्धता बढ़ाने और रिजर्व बैंक के अधिशेष कोष का आकार कम करने को लेकर मतभेद बने हुये थे। सरकार ने रिजर्व बैंक कानून की धारा सात के तहत इन मुद्दों पर बातचीत शुरू की थी। धारा सात के तहत सरकार रिजर्व बैंक गवर्नर को सीधे निर्देश दे सकती है।