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भारतीय राजनीति मे परिवारवाद क्यों ? कैसे ? और कितने हैं राजनैतिक परिवार?

परिवारवाद राजनीति की ग्लोबल समस्या है. कुछ नेता इससे दूर रह पाए हैं. कुछ का परिवार ही नहीं था, तो कुछ के बच्चों ने अलग रास्ता चुन लिया. कुछेक बच्चे इस लायक ही नहीं थे, कि सार्वजनिक जीवन में आ सकें. कुछ लोगों के दत्तक परिवार हैं.

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कुछ ने परिवार में काम बांट रखा है, जैसे कि बाप पॉलिटिक्स कर रहा है, बेटा पैसा संभाल रहा है. पति-पत्नी में ऐसा कार्यविभाजन इस समय दर्जनों राजनीतिक परिवारों में है.

अमेरिका और यूरोप तक इससे दूर नहीं हैं. हाल के वर्षों को देखें तो बुश और क्लिंटन परिवार हमारे सामने है.

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भारत में आजादी के बाद इसकी सबसे सघन अभिव्यक्ति नेहरू-गांधी परिवार में देखी गई. कई राज्यों में यह चल रहा है.

बीजेपी में राजनाथ, वसुंधरा, वसुंधरा, गोयल, रविशंकर, लेखी और कल्याण समेत दर्जनों राजनीतिक परिवार हैं.

अटल जी का एक दत्तक परिवार था, जिसने प्रधानमंत्री कार्यालय में कोहराम मचा रखा था. राडिया टेप में उसकी कई गवाहियां हैं, जो अब सुप्रीम कोर्ट की संपत्ति है.

इसके अलावा दक्षिण में करुणानिधि परिवार है और बिल्कुल उत्तर में फारुख अब्दुल्ला और बादल परिवार.

मुफ्ती परिवार है, अमरिंदर परिवार है. भजनलाल परिवार है. बंसीलाल परिवार है.

देवेगौड़ा परिवार है.

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हुड्डा परिवार की चौथी पीढ़ी राजनीति कर रही है.

देवीलाल परिवार की तीसरी पीढ़ी बुजुर्ग हो चली है.

चरण सिंह परिवार की भी तीसरी पीढ़ी राजनीति में है.

ठाकरे का पूरा परिवार राजनीति कर रहा है.

सिंधिया परिवार तो है ही.

पायलट परिवार है.

पासवान परिवार तो है ही.

जगन्नाथ मिश्रा परिवार है. अर्जुन सिंह परिवार है, पटनायक परिवार है, गोगोई परिवार है. करमा परिवार है. जूदेव परिवार है.

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पवार परिवार है.
मेनका गांधी का परिवार है.
मुलायम सिंह का परिवार है.
संगमा का परिवार है.
जगजीवन राम परिवार है.

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रामाराव-नायडू परिवार है. के राजशेखर रेड्डी परिवार है. श्यामाचरण शुक्ला परिवार है. जोगी परिवार बन रहा है.

दिग्विजय परिवार है, गहलोत और विजयवर्गीय परिवार है.

सोरेन परिवार है.

ममता परिवार है. प्रणव मुखर्जी की तीसरी पीढ़ी राजनीति कर रही है. सोमनाथ चटर्जी का परिवार है.

ओवैशी परिवार है.
धूमल और अनुराग ठाकुर परिवार है.

……….. गिनते जाइए.

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मतलब कि सैकड़ों राजनीतिक परिवार इस समय भारतीय राजनीति में सक्रिय हैं.

लेकिन असली बात यह है कि….

और यही एकमात्र बात है कि….

भारतीय राजनीति में परिवारवाद खत्म करने का लालू यादव पर बहुत बड़ा दायित्व है. अगर वे अपने परिवार को राजनीति से हटा लेंगे, तो भारतीय राजनीति में परिवारवाद का अंत हो जाएगा!

खुश?

वरिष्ठ पत्रकार, आलोचक दिलीप सी मंडल की फेसबुक वाल से साभार….

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