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अब सोशल मीडिया पर पहचाने जायेंगे, आतंकवादी संगठनों से जुड़े चरमपंथी

वॉशिंगटन, वैज्ञानिकों ने सोशल मीडिया पर आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े चरमपंथियों की पहचान का तरीका ढूंढ निकालने का दावा किया है जिससे अपने सोशल मीडिया खातों पर आपत्तिजनक चीजें लिखने, बोलने या साझा करने से पहले ही उनकी पहचान मुमकिन हो सकेगी।

सोशल मीडिया उपभोक्ताओं को परेशान करने, नए सदस्यों की भर्ती करने और हिंसा भड़काने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ऑनलाइन चरमपंथी समूहों की संख्या और उनका आकार बढ़ रहा है। प्रमुख सोशल मीडिया साइट इस प्रवृति से मुकाबला करने की दिशा में काम कर रही हैं। वे इन खातों की पहचान के लिए उपयोक्ताओं की ओर से किसी पोस्ट को ‘रिपोर्ट’ करने पर बहुत हद तक निर्भर रहती हैं।

साल 2016 में ट्विटर ने बताया था कि उसने आईएसआईएस से जुड़े 3,60,000 खातों को बंद किया है। एक बार कोई खाता इस्तेमाल से रोक दिए जाने के बाद उस उपयोक्ता द्वारा कोई नया खाता खोलने या बहुत सारे खाते संचालित करने की गुंजाइश कम रहती है।मैसेच्यूसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के तौहीद जमां ने कहा, ‘‘सोशल मीडिया चरमपंथी संगठनों के लिए ताकतवर मंच बन गया है, चाहे यह आईएसआईएस हो या श्वेत राष्ट्रवादी ‘ऑल्ट-राइट’ ग्रुप हो।’’जमां ने कहा, ‘‘ये समूह नफरत से भरे दुष्प्रचार फैलाने, हिंसा भड़काने और आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए सोशल नेटवर्कों का इस्तेमाल करते हैं, जिससे यह आम लोगों के लिए खतरा बन गया है।’’

शोधकर्ताओं ने करीब 5,000 ऐसे ‘‘सीड’’ उपयोक्ताओं से ट्विटर के आंकड़े इकट्ठा किए, जिनसे आईएसआईएस के सदस्य परिचित थे या जो आईएसआईएस के कई ज्ञात सदस्यों से मित्र या फॉलोवर के तौर पर जुड़े थे।उन्होंने खबरों, ब्लॉग, कानून का पालन कराने वाली एजेंसियों की ओर से जारी की गई रिपोर्टों और थिंक टैंक के जरिए उनके नाम हासिल किए।

इन उपयोक्ताओं की टाइमलाइन से 48 लाख ट्वीटों के विषय-वस्तु की समीक्षा करने के अतिरिक्त उन्होंने खातों के निलंबन का भी पता लगाया। विषयवस्तु में जिसमें टेक्स्ट, लिंक, हैशटैग और मेंशन शामिल थे। उन्होंने उनके मित्रों और फॉलावरों के खातों के निलंबन का भी पता लगाया।शोधकर्ताओं ने आईएसआईएस और अल-कायदा से हमदर्दी रखने वालों और ज्ञात विदेशी लड़ाकों के खातों और उनकी ओर से ट्विटर पर डाली गई ऐसी सामग्रियों पर ज्यादा ध्यान दिया जिन्हें ट्विटर ने आतंकवादी प्रकृति का करार दिया था।

चरमपंथी व्यवहार की सांख्यिकीय मॉडेलिंग और आईएसआईएस के असल यूजर डेटा का इस्तेमाल करते हुए शोधकर्ताओं ने नए चरमपंथी उपयोक्ताओं की पहचान पहले ही कर लेने का तरीका विकसित किया। इससे यह भी पता लग सकेगा कि क्या एक ही शख्स एक से ज्यादा खाता चला जा रहा है।