नई दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में व्यापारियों के पास मौजूद पटाखों की छह सप्ताह के अंदर विस्तृत सूची बनाने का आदेश दिया है। यह सूची बनाने की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखे बेचने और उनका भंडारण करने पर पहले ही रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति एम बी लोकुर और न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की सरकारों के साथ परामर्श कर विस्तृत जानकारी देने को कहा है। पीठ ने कहा लाइसेंस धारकों के साथ पूरी सूची बनाने की प्रक्रिया छह सप्ताह में पूरी हो जानी चाहिए। यह आदेश पीठ ने तब दिया कि सीपीसीबी की ओर से पेश वकील ने और समय दिए जाने की मांग करते हुए कहा कि सूची बनाने के लिए पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) की सहायता की जरूरत है।इस पर पीठ ने कहा जो पटाखे लोगों के स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकते है, तथा जिनकी रसायनिक सामग्री स्वास्थ्य एवं पर्यावरण के लिए नुकसानदेह हो सकती है उनकी पहचान करने के लिए पीईएसओ की मदद ली जा सकती है। मामले की अगली सुनवाई पीठ ने सात जुलाई को नियत की है।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखों की बिक्री तथा उनके भंडारण पर प्रतिबंध और आगे बढ़ा दिया था और ऐसी विस्फोटक सामग्रियों का कारोबार करने वाले व्यापारियों के लाइसेंस निलंबित करने का अपना आदेश बदलने से इंकार कर दिया था। यह पीठ उन कारोबारियों की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने अपने पास मौजूद पटाखों के भंडार को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर बेच कर खत्म करने की अनुमति मांगी थी। बहरहाल, न्यायालय ने सीपीसीबी को, पटाखा व्यापारियों के पास मौजूद पटाखों की विस्तृत सूची बनाने का आदेश देने के साथ ही, उनके निपटारे के लिए उपाय सुझाने को भी कहा। पीठ ने सीपीसीबी से पटाखों में आम तौर पर उपयोग किए जाने वाले रसायनिक सम्मिश्रण की निर्धारित सीमा अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए कहा। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल 11 नवंबर को दिए अपने आदेश में बोर्ड से, पटाखों के निर्माण में इन दिनों उपयोग की जाने वाली सामग्रियों के घातक प्रभावों का अध्ययन करने और एक रिपोर्ट तैयार करने को कहा था। पिछले साल 11 नवंबर को उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को ऐसे सभी लाइसेंस निलंबित करने का आदेश देते हुए कहा था कि यह निलंबन अदालत के अगले आदेश तक लागू रहेगा। साथ ही न्यायालय ने आदेश दिया कि अगले आदेश तक न तो कोई लाइसेंस दिया जाना चाहिए और न ही इनका नवीनीकरण करना चाहिए।