कानपुर, अफगानिस्तान के नवनिर्माण में भारत की दिल खोलकर की गई मदद की जबरदस्त तारीफ करते हुए अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा कि दक्षिण और मध्य एशिया की खुशहाली के लिए भारत और अफगानिस्तान पाकिस्तान के रास्ते आपस में जुड़ें, इससे तीनों देशों में समृद्वि आएगी और व्यापार का मार्ग खुलेगा। लेकिन इसके लिए पाकिस्तान को पहल करनी होगी। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म में आस्था रखो लेकिन उसे राजनीतिक हथियार नहीं बनाएं। उन्होंने भारत में शिमला में अपनी पढ़ाई के दिनों की याद को ताजा करते हुए कहा कि उनके जमाने में तो फिल्मों में देवानंद, हेमामालिनी, लता मंगेश्कर, मो रफी का बोलबाला था । उन्होंने कहा कि आजकल की युवा पीढ़ी तो फिल्म अभिनेता शाहरूख खान सलमान खान की दीवानी है। पूर्व राष्ट्रपति करजई आईआईटी कानपुर के टेक्निकल फेस्टिवल टेक कृति के उदघाटन समारोह में बोल रहे थे । अपना भाषण कुरान की आयत बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम जिसका अर्थ है शुरू करता हूं मैं अल्लाह के नाम से जो बड़ा रहम करने वाला है से शुरू किया । उन्होंने कहा कि जब वह पढ़ाई करने के बाद अफगानिस्तान पहुंचे तो वहां का माहौल पूरी तरह से बिगड़ा हुआ था एक तरफ तो सोवियत संघ था जो कि कम्युनिस्ट विचारधारा थोपना चाहता था दूसरी तरफ पड़ोसी पाकिस्तान जो धर्म के नाम पर कट्टरवाद फैला रहा था । इन दोनों के बीच हमारा मुल्क अफगानिस्तान पूरी तरह से तबाह और बरबाद हो गया था । न तो वहां यूनिवर्सिटी थी न स्कूल, चारों तरफ बस धर्म के नाम पर हिंसा थी। अमेरिका में नौ ग्यारह के हमलों के बाद तो अफगानिस्तान के हालात और खराब हो गए थे।