नई दिल्ली,नोटबंदी के चलते माहौल कमजोर होने से कार की मांग पर असर पड़ा है। पुरानी कारों मे 2 से 4 लाख रुपए वाली कारों की पूंछ ज्यादा है।
पुरानी कारों का वर्चुअल मार्कीटप्लेस ट्रूबिल ने कहा कि इसकी ऑनलाइन क्लासिफाइड यूज्ड कार्स रिपोर्ट 2016 में कहा गया है कि मारुति, हुंडई और होंडा के यूज्ड कार की सबसे ज्यादा खोज कंपनी के प्लेटफॉर्म पर हुई और कुल सर्च में इसकी हिस्सेदारी क्रमशः 41.06 फीसदी, 18.42 फीसदी और 9.32 फीसदी रही। अन्य ब्रांडों में टाटा (6.64 फीसदी), शेव्रले (6.03 फीसदी), टोयोटा (4.62 फीसदी), महिंद्रा (4.58 फीसदी), महिंद्रा (4.58 फीसदी), फोर्ड (3.21 फीसदी) और फिएट, निसान, रेनो व स्कोडा (6.10 फीसदी) का स्थान रहा। खोजे गए कारों में करीब 44.36 फीसदी 2 लाख रुपए से 4 लाख रुपए वाली कारों की रही। वहीं 20.77 फीसदी कारों की खोज 2 लाख रुपए वाली श्रेणी और 19.58 फीसदी 4 से 6 लाख रुपए वाली कारों की रही। पुरानी कारों के बाजार में साल 2016 के दौरान 16 फीसदी की बढ़ौतरी दर्ज हुई और यहां करीब 35 लाख कारों की बिक्री हुई। नोटबंदी के चलते नवंबर में बिक्री में भारी गिरावट के बावजूद ऐसा हुआ।
पुरानी कारों के डीलरों को हालांकि लगता है कि अगली तिमाही में मांग में सुधार होगा। ट्रूबिल के सह-संस्थापक और विपणन प्रमुख शुभ बंसल ने कहा, कुल मिलाकर जनवरी से नवंबर तक उद्योग ने 15-18 फीसदी की बढ़ौतरी दर्ज की। इस साल अब तक 35 लाख पुरानी कारों की बिक्री हुई, जो पिछले साल 30 लाख रही थी। संगठित क्षेत्र ने हालांकि ज्यादा रफ्तार से बढ़त दर्ज की और साल दर साल के हिसाब से यह करीब 35 फीसदी रही। देश की पुरानी कारों के बाजार में संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब 17-20 फीसदी है। करीब 35 फीसदी लेनदेन कस्टमर-टु-कस्टमर होते हैं और बाकी असंगठित उद्योग के पास है। असंगठित क्षेत्र नकद में सौदा करता है और नवंबर में इसकी बढ़त पर काफी असर पड़ा यानि इसमें करीब 40 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई।
कारट्रेड डॉट कॉम के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी विनय सांघी भी इस बात से सहमत हैं कि इस साल उद्योग की बढ़त की रफ्तार 15-17 फीसदी के दायरे में रही है, जो उम्मीद के मुताबिक है। उन्होंने कहा कि इसमें जल्द सुधार होने की उम्मीद है। नोटबंदी के चलते माहौल कमजोर होने से मांग पर असर पड़ा है। बंसल ने भी कहा कि डीलर फरवरी-मार्च में पुरानी कारों की मांग में बढ़ौतरी की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि नोटबंदी का प्रभाव धीरे-धीरे कम हो रहा है।