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पैरों के दर्द की वजह है वेस्कुलर समस्या

LAGपैरों में दर्द एक आम समस्या है। हममें से बहुत से लोग चलते समय या आराम करते समय पैरों में दर्द अनुभव करते हैं। परन्तु ज्यादातर लोग इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते और आराम पाने के लिए विभिन्न दर्द निवारकों का सहारा लेते हैं। परन्तु पैरों की समस्या को बार−बार अनदेखा करना उचित नहीं यह वेस्कुलर हो सकता है। पैरों की धमनियों में रुकावट के कारण यह बीमारी हो सकती है। धमनियों में वसा जमने के कारण वे इतनी संकरी हो जाती हैं कि इससे रक्त की आपूर्ति में बाधा आने लगती है जिससे दर्द तथा दूसरी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। वेस्कुलर समस्या के कई लक्षण होते हैं जैसे चलने के कारण पैरों में होने वाला दर्द आराम करने से कम हो जाए। पैर लटकाकर या ऊपर रखने से दर्द और स्थान बदलने से राहत मिलना। ऐसे में पैरों को लटका कर रखने से पैर गहरे रंग का हो जाता है और ऊपर करने से पीला पड़ जाता है। रोगी के पैर के नाखून मोटे तथा नीले पड़ जाते हैं। रोगी के पैर तथा तलवों का रंग बदल जाता है। रोगी की उंगुलियों के बीच और पैर के बाहरी हिस्से में घाव भी हो सकते हैं। यदि पैरों की उंगुलियों, पैरों तथा जाघों पर बाल न हों तो भी इस बात की संभावना है कि व्यक्ति वेस्कुलर समस्या से पीडि़त हो।

विशेषज्ञों के अनुसार पैरों के दर्द के यों तो कई कारण हो सकते हैं यदि पैरों में लगातार इतना दर्द हो कि आप रात को सो भी नहीं सकते हो तो आपको पैर खोने का खतरा हो सकता है ऐसी स्थिति में तुरन्त वेस्कुलर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। रोगी के पैरों की धमनी में किस स्थान पर रक्त प्रवाह में रुकावट आ रही है यह पता लगाने के लिए पैर की धमनियों का रंगीन डाप्लर या अल्ट्रासाउंड किया जाता है। दूसरी जांच आपरेशन से पहले एंजियोग्राम के द्वारा की जाती है। यह एक विस्तृत तकनीक है जिससे धमनियों की आंतरिक स्थित स्पष्टि हो जाती है और उचित इलाज द्वारा पैरों को लंबे समय तक स्वस्थ बनाया जा सकता है। सामान्य शल्य चिकित्सा के लिए रोगी को एक−दो दिन ही अस्पताल में रहना पड़ता है। इस तकनीक को एंजियोप्लास्टी कहते हैं इसमें धमनियों को गुब्बारे की तरह चौड़ा किया जाता है। इसके लिए एक पतला तार कमर तथा हाथों से प्रभावित स्थान पर भेजा जाता है। जिसके द्वारा एक गुब्बारा भेजा जाता है जो धमनियों को चौड़ा करता है। रुकावट दूर होने के बाद स्टील का पाइप लगा दिया जाता है जिससे वह स्थान दुबारा संकरा न हो जाए। इस तकनीक से लंबे समय तक दर्द से राहत मिल जाती है।

वेस्कुलर समस्या के निदान का दूसरा तरीका बाईपास शल्य चिकित्सा है। इसके लिए मरीज को 7−10 दिन तक अस्पताल में रहना पड़ सकता है। वेस्कुलर हृदय के बाई पास की तरह ही होती है। इसके अंतर्गत ओरटा जैसी प्रणालियां 20 साल से अधिक के लिए भी कारगर हो सकती हैं जबकि कमर से नीचे की धमनियों के लिए 10−15 साल के लिए यह तकनीक कारगर सिद्ध हो सकती है। इस दौरान पैरों में रक्त संचार सामान्य हो जाता है। बुरी तरह प्रभावित पैरों के लिए शल्य चिकित्सा के बजाए शिराओं से दवा देना एक बेहतर विकल्प होता है। इसलिए पांच दिन तक शिराओं से दवा लेकर धमनियों को खोलने का प्रयास किया जाता है। वेस्कुलर दर्द के कारण सभी को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती। यदि यह दर्द आपकी दिनचर्या को प्रभावित न कर रहा हो ता सिर्फ व्यायाम करने और धूम्रपान छोड़ने से ही समस्या से निजात मिल सकती है। मधुमेह के रोगियों तथा धूम्रपान करने वालों को वेस्कुलर समस्या के प्रति विशेष सतर्कता की आवश्यकता होती है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सही समय पर चिकित्सक से परामर्श ले लिया जाए तो दो फीसदी से अधिक मामलों में रोगी का पैर काटने की जरूरत नहीं पड़ती।

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