नई दिल्ली, अगर आप फिल्म के हीरो हैं, तो आपमें मर्दानगी जरूर होगी, क्योंकि हीरो से ऐसी ही उम्मीद की जाती है, लेकिन हीरो शौर्य सिंह की शूरवीरता उस समय धरी की धरी रह जाती है, जब वह सेक्स करने में खुद को असमर्थ माते हैं। उन्हें लगता है कि मर्दाना ताकत वाली दवाएं ही इसका एकमात्र समाधान है, जिन्हें बनाने वालों का पता मूत्रालय की दीवारों पर लिखा मिल जाएगा। नामर्द के लिए मूत्रालय से बेहतर कोई स्थान नहीं हो सकता जहां बंगाली बाबाओं या देसी दवाखानों के ऐसे पते मिल जाएंगे, जहां मर्द बनाने की रामबाण औषधि मिलेगी।
इस समाज में नामर्दगी से जूझ रहे ऐसे कई लोग या भंवरे हैं जो किसी ऐसी दवा की तलाश में हैं जिसे खाकर वे मर्द बन जाएं और अपने रोमानी या वैवाहिक रिश्ते को खूबसूरत आकार दें। शाही दवाखानों के नाम से चल रही ऐसी कई दुकानें हैं, जो सेक्स से संबंधित समस्याओं को दूर करने का दावा करती हैं और लोगों का एक खास वर्ग ऐसे नीम-हकीमों के पास जाकर अपनी खोई हुई ताकत हासिल करना चाहता है। इसी विषय पर बनी है सुधा क्रिएशन्स की डार्क कॉमेडी फिल्म भंवरे, जो तीन दोस्तों की कहानी है।
लेखक, अभिनेता, निर्माता और निर्देशक शौर्य सिंह की यह फिल्म दर्शकों को यही मैसेज देना चाहती है कि अपनी शारीरिक समस्या से छुटकारा पाने के लिए गलत तरीका न अपनाएं। ऐसे दुकानों पर जाने से बचें जो चिकित्सा की दृष्टि से अप्रूव्ड नहीं हैं और इंसान की सेहत से खिलवाड़ करती हैं। शौर्य सिंह कहते हैं कि यह देश की पहली ऐसी फिल्म है, जो मर्दाना कमजोरी को दूर करने का दावा करने वाले नीम-हकीमों पर निशाना साधती है। फिल्म में शौर्य सिंह के अपोजिट प्रियंका शुक्ला हैं। मनोज बख्शी खलनायकी के तेवर दिखाते नजर आएंगे। फिल्म में करण ठाकुर और जशन सिंह भी अहम किरदार में हैं। संगीत सौरभ चटर्जी और गौरव रत्नाकर का है।