भोपाल, भोपाल मुठभेड़ में सिमी के 8 आतंकी ढेर करने पर सवाल खड़े हो गयें है। राजनैतिक दलों से लेकर आम आदमी तक यह चर्चा आम हो गयी है कि क्या सचमुच ये आठों जेल तोड़कर भागे थे? ये भी चर्चा है कि कहीं यह काण्ड राज्यों मे हो रहे विधान सभा चुनावों को प्रभावित करने के लिये तो नही कराया गया। विपक्ष ने एनकाउंटर को फर्जी करार दिया है।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मध्य प्रदेश सरकार से रिपोर्ट पेश करने को कहा था। सीएम शिवराज सिंह ने कहा कि ये एक गंभीर मामला है, जिसके तह तक जाने के लिए जांच होनी चाहिए। उन्होंने गृहमंत्री राजनाथ सिंह से एनआइए जांच की मांग की थी जिसे केंद्र सरकार ने मान लिया है। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि स्थानीय लोगों की मदद से आतंकियों को मार गिराने में कामयाबी मिली। बहादुर पुलिसकर्मियों की सरकार सराहना करती है। लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने कहा कि जिस ढंग से आतंकियों को मार गिराया गया है, वो सवालों के घेरे में है।सभी आतंकी मारे जा चुके हैं लिहाजा इसकी जानकारी मुश्किल है कि वो किस तरह से जेल से फरार होने में कामयाब हुए। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जेल ब्रेक की घटना राजद्रोह की सीमा तक है। उन्होंने कहा कि फरार आतंकियों के बारे में जो जानकारी मुहैया कराएगा उसे राज्य सरकार पांच लाख रुपए इनाम देगी। लापरवाही बरतने के मामले में जेल सुपरिंटेंडेंट समेत चार कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है।सीएम ने कहा कि डीआईजी जेल को निलंबित कर दिया गया है। एडीजी जेल को हटाया जा चुका है।
क्भोया है भोपाल मुठभेड़-
भोपाल की सेंट्रल जेल से फरार सिमी के आठ आतंकियों को जेल से करीब 10 किमी दूर भोपाल के बाहरी इलाके इंतिखेड़ी गांव में पुलिस ने मार गिराया है। भोपाल के आईजी योगेश चौधरी ने बताया कि सुरक्षाबलों द्वारा घेरे जाने के बाद सभी आतंकी मार गिराए गए। शेख मुजीब, खालिद, मजीद, अकील खिलजी, जाकिर, महबूब, अमजद और सलिख जेल से फरार हो गए थे। जेल से फरार होने से पहले आतंकियों ने जेल गार्ड रमाशंकर की हत्या कर दी। सिमी के ये आतंकी 2013 में खंडवा जेल से भी फरार हुए थे। लेकिन कुछ महीनों के बाद पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया था।
भोपाल सेंट्रल जेल के महानिदेशक संजय चौधरी ने बताया कि आतंकियों ने एक गार्ड की हत्या कर दी थी और दूसरे को घायल भी कर दिया था। भोपाल के एसपी अरविंद सक्सेना ने बताया कि आतंकियों ने बेडशीट की रस्सी बनाकर जेल की दीवार फांद कर भाग गए। सर्वाधिक खतरा उत्तर प्रदेश से गायब सिमी के 80 आतंकियों से है। केन्द्र से मिले अलर्ट के बाद खुफिया एजेंसियो की नजर सिमी के इन्हीं लापता आतंकियों पर है, जो संगठन के बैन होने के बाद से ना तो पकड़े ही गए और ना ही किसी वारदात में उनका नाम सामने आया। इस अलर्ट के बाद यूपी के अंदर बैठे इन आतंकियों के मददगारों पर पुलिस ने निगाह गढ़ा दी है। आईबी ने साफ तौर पर कहा है कि सिमी के जो आतंकी बीते कई सालों से अंडरग्राउंड हैं, जिनके बारे में यूपी पुलिस और उसकी इंटेलीजेंस को कोई सुराग तक नहीं है वो अब नया खतरा बन गए हैं। लिहाजा उनकी तलाश तेज की जाए। उनके मददगारों पर नजर रखी जाये। वैसे भी 2002 में प्रतिबंध लगने के बाद सिमी ने नया चोला ओढ़कर कर नाम इंडियन मुजाहिदीन रख लिया है। जिसने 2005 तक देश में लगातार विस्फोट कराये और उसके बाद अब उसके तमाम लोग स्लीपिंग माड्यूल की तरह काम कर रहे हैं। जिसकी बानगी दो वर्ष पहले बिजनौर में एक घर के अंदर विस्फोट के बाद सामने आई थी।