लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने आज अर्न्तराष्ट्रीय बौद्ध संस्थान, गोमतीनगर के प्रांगण में राज्य संग्रहालय द्वारा 17 से 19 नवम्बर तक आयोजित भारतीय मुद्रा परिषद के 104वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कि मुद्रा किसी भी देश की संस्कृति एवं सभ्यता का प्रतिबिम्ब होती है। इससे तत्कालीन इतिहास एवं अर्थव्यवस्था की जानकारी मिलती है, जिससे हमारी आगामी पीढ़ियों को हमारी समृद्ध संस्कृति का ज्ञान होता है।
आनंदीबेन पटेल ने कहा कि सिक्कों पर प्राप्त तिथियां एवं अंकन उस कालखण्ड के इतिहास एवं संस्कृति की जानकारी का सशक्त माध्यम है। क्योंकि ये सिक्के तत्कालीन धर्म एवं दर्शन और सामाजिक जीवन को प्रतिबिम्बत करते हैं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से हमारी युवा पीढ़ी इस प्रकार की जानकारियों से अनभिज्ञ है। हमारा प्रयास होना चाहिये कि इस प्रकार की प्रदर्शनी को अलग-अलग शहरों में लगायें तथा उनका भ्रमण भी अपने बच्चों को अवश्य करायें ताकि हमारे बच्चे हमारी संस्कृति के बारे में जान सकें।
राज्यपाल ने शिक्षकों से अपील की कि वे अपने विद्यालय के बच्चों को भी शैक्षिक भ्रमण पर अवश्य ले जायें ताकि वे हमारे पर्यटन स्थलों एवं संस्कृति के बारे में जान सकें। उन्होंने शिक्षकों को सुझाव दिया कि भ्रमण पर जाने वाले बच्चों में से ही चार या पांच बच्चों की टीम बनाकर भ्रमण वाले स्थल की सम्पूर्ण जानकारी दें ताकि वे भ्रमण पर गये अन्य बच्चों को भी जानकारी दे सकें। उन्होंने कहा कि मुझे दुःख है कि हमारे बच्चे हमारी ऐतिहासिक समृद्धता से अनभिज्ञ हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश का इतिहास बहुत समृद्ध है। हमें अपने बच्चों को ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थलों पर ले जाकर उन्हें उनसे परिचित कराना चाहिये। हमारी नयी पीढ़ी ही हमारी संस्कृति की संवाहक है।
आनंदीबेन पटेल ने जल संरक्षण पर चर्चा करते हुये कहा कि स्वच्छता एवं जल संरक्षण की सीख हमें अपने बच्चों को बचपन से ही देनी चाहिये। सरकार हर घर नल योजना के तहत घर-घर जल पहुंचाने का काम कर रही है। हमारा संकल्प होना चाहिये कि किसी भी दशा में जल की बर्बादी न हो। उन्होंने बौद्ध संस्थान में लगायी गयी मुद्रा प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुये कहा कि सिक्कों की दुनिया बहुत निराली है। इसका ज्ञान हमें अपने बच्चों को अवश्य कराना चाहिये। उन्होंने राजभवन में एक सिक्का एल्बम रखने की घोषणा की।
इस अवसर पर राज्यपाल जी ने शोध पत्रों के संकलन पर आधारित स्मारिका का विमोचन किया।
इसके अलावा प्रमुख सचिव संस्कृति मुकेश मेश्राम ने कहा कि दशकों बाद यह सम्मेलन लखनऊ में हो रहा है, जिसका उद्देश्य है कि हम अपनी संस्कृति, शिक्षा एवं संस्कार से अपने बच्चों को जोड़े तथा उन्हें अपनी संस्कृति से परिचित करायें।उन्होंने कहा कि कि भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय में समृद्ध संस्कृति एवं प्राकृतिक धरोहरों पर शोध कार्य तथा विषयगत जानकारी के कोर्स भी चलाये जायेंगे। अभिभावक अपनी नयी पीढ़ी को अपने पर्यटन स्थलों से परिचित करायें।
भारतीय मुद्रा परिषद के अध्यक्ष डाॅ राजा रेड्डी ने मुद्रा शास्त्र के विकास पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर भारतीय मुद्रा परिषद के 104वें सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. मक्खन लाल, मुद्रा परिषद के महासचिव प्रो. पीएन सिंह, विशेष सचिव संस्कृति आनंद कुमार, राज्य संग्रहालय के निदेशक डाॅ आनंद कुमार सिंह सहित बड़ी संख्या में देश भर से आये मुद्रा संरक्षक मौजूद थे।