लखनऊ, उत्तर प्रदेश में सुदृढ़ कानून एवं व्यवस्था की स्थापना एवं अपराध नियंत्रण राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा, कल्याण एवं पीड़ित पुर्नवासन के प्रति भी राज्य सरकार अत्यंत संवेदनशील एवं गम्भीर है। राज्य में अमन-चौन के माहौल का यह नतीजा है कि आज देश दुनिया की अनेक प्रतिष्ठित कम्पनियां एवं निवेशक उद्यम स्थापना के लिये उत्तर प्रदेश की ओर रूख कर रहे है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने यह जानकारी देते हुये बताया कि प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति को सुदृढ़ करने तथा अपराध नियंत्रण के लिये प्रदेश सरकार सतत प्रयत्नशील है तथा इस संबंध में अनेक कदम भी उठाये गये है। अपराधियो को सजा दिलाये जाने के अभियान के भी अच्छे नतीजे सामने आये है। महिलाओं के विरूद्ध अपराधो यथा हत्या सहित बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, शीलभंग आदि मामलों में वर्ष 2012 से अब तक प्रभावी अभियोजन के फलस्वरूप 4800 से अधिक मामलों मे सजा दिलायी गई है।
यूपी का क्राइम रेट सम्पूर्ण भारत के औसत रेट से भी कम
नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो द्वारा प्रकाशित क्राइम इन इण्डिया 2014 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि पूरे देश में वर्ष 2014 में कुल 2851563 आई.पी.सी. के अपराध पंजीकृत हुए जिनमें से 240475 आई.पी.सी. के अपराध उत्तर प्रदेश में घटित हुए जो कि देश में ऐसे पंजीकृत अपराधों का 8.4 प्रतिशत है। यहां उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या भारत की जनसंख्या का लगभग 17 प्रतिशत है।
उत्तर प्रदेश में नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो में प्रकाशित अपराधों की स्थिति के अनुसार यूपी को देश में डकैती के मामले में 22वॉ स्थान पर, लूट के मामले में 13वॉं स्थान, हत्या के मामले में 18वॉं स्थान, महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामले में 20वां स्थान है। उत्तर प्रदेश में विभिन्न श्रेणियों के अपराधों का क्राइम रेट सम्पूर्ण भारत के औसत रेट से कम है, वहीं पुलिस द्वारा प्रभावी व कुशल पैरवी के कारण दोष सिद्वि रेट अखिल भारतीय औसत 45.1 प्रतिशत से कहीं अधिक 53.2 प्रतिशत है।
प्रवक्ता ने बताया कि तेजाब हमला, बलात्कार से पीड़ित तथा महिलाओ के प्रति होने वाले अन्य अपराधों के मामलों में पीड़िता/पीड़ित को आर्थिक सहायता दिये जाने की व्यवस्था पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के तहत की गयी है, जिसमें विशेषकर एसिड अटैक के मामलो में पीड़ित को 5 लाख रूपये तथा बलात्कार से पीड़ित पीड़िता को 3 लाख रूपये दिये जाने का प्राविधान है। इस योजना के अंर्तगत पीड़ितो को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण/जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।
वूमेन पावर लाइन 1090 के माध्यम से महिलाओं में सुरक्षा की भावना के साथ-साथ उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि हुई है। इस योजना के सफल माडल को अन्य राज्यों ने भी सराहा है एवं अपनाने के प्रयास किये गये है। महिला उत्पीडन से संबंधित घटनाओं में प्रभावी कार्यवाही हेतु प्रदेश में पहली बार महिला सम्मान प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। महिलाओं संबंधी अपराधो की शिकायतों को ऑनलाइन दर्ज करने की सुविधा उत्तर पुलिस की वेब साइट के माध्यम से उपलब्ध करायी गयी है।
मानव तस्करी की घटनाओं को रोकने के लिये प्रदेश में स्थापित सभी 35 एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स को थाने का दर्जा दिया गया है। प्रदेश में एसिड की बिक्री को खुलेआम नियंत्रित करने के लिये कड़े कदम उठाये गये है। पास्को एक्ट के अंर्तगत छः लैंगिक अपराधो को पीड़ित क्षतिपूर्ति योजना के तहत लाया गया है। महिला अपराधों की समीक्षा संगीन अपराधो के रूप में हीनियस क्राइम मॉनीटरिंग सिस्टम के माध्यम से करायी जा रही है।
यूनिसेफ के सहयोग से प्रदेश के 10 जिलो क्रमशः लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, गाजियाबाद, आगरा, बरेली, श्रावस्ती एवं मिर्जापुर में मॉडल विशेष किशोर पुलिस इकाई विकसित किये जाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही प्रदेश के 6 जनपदों क्रमशः लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर एवं गाजियाबाद में मॉडल बाल मित्र थाना विकसित किये जाने का भी निर्णय लिया गया है। इसका उद्देश्य थाने स्तर पर बच्चों के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाने तथा चयनित थानों में बच्चों के लिये मूलभूत सुविधाओं को बढ़ावा देना है। प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश के 75 जनपदो में से कुल 71 जनपदों में महिला पुलिस थानो की स्थापना की जा चुकी है।