रायबरेली, उत्तर प्रदेश के रायबरेली के मुंशीगंज स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पीएमआर विभाग में बच्चों की पैरों से जुड़ी जन्मजात बीमारी क्लब फुट के इलाज के लिए क्लीनिक का शुभारंभ किया गया है।
एम्स रायबरेली के प्रवक्ता समीर शुक्ला ने रविवार को बताया कि क्लबफुट पैर की एक जन्मजात विकृति है, जहां एक या दोनों पैर अंदर की ओर मुड़ जाते हैं, क्लब फुट के अधिकांश मामलों को सफलतापूर्वक नॉन सर्जिकल विधियों से ठीक कर दिया जाता है, जिनमें स्ट्रेचिंग (खींचना), कास्टिंग (प्लास्टर चढ़ाना) और ब्रेसिंग का संयोजन शामिल हो सकता है।
उपचार आमतौर पर जन्म के तुरंत बाद शुरू हो जाता है। उन्होंने कहा कि क्लब फुट क्लीनिक में बीमारी से पीड़ित बच्चों का सम्पूर्ण इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि जहाँ आवश्यक होता है वहाँ इलाज के लिए जरूरी सर्जरी भी की जा रही हैI लेकिन अनुपचारित छोड़ी गई विकृति आजीवन विकलांगता का कारण बनती है। 80 प्रतिशत अनुपचारित क्लब फुट के मामले विकासशील देशों में पाए जाते हैं।
डॉ सत्य शील ने बताया कि पोटेंसी विधि 98 प्रतिशत क्लब फुट के मामलों में सफल है और यह अच्छी गैर इनवेसिव व कम लागत की उपचार तकनीक है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ0 अमित शुक्ला के अनुसार जन्म से क्लब फुट की बीमारी से ग्रसित किसी बच्चे को शीघ्र इलाज देकर उसे बिना सर्जरी विकलांगता से मुक्त किया जा सकता है।
निदेशक प्रोफेसर अरविंद रघुवंशी ने बताया कि यह क्लीनिक प्रत्येक सोमवार को कमरा नम्बर 22 पीएमआर ओपीडी में शुरू की जा रही है।