अहमदाबाद, गुजरात सरकार ने आर्थिक पिछड़ेपन को आधार मानकर राज्य में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है। 6 लाख रुपए तक की सालाना आमदनी वाले परिवार इसके दायरे में आएंगे। आर्थिक आधार पर सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों को आरक्षण देने पर लंबे समय से विचार किया जा रहा था, जिस पर अब कार्रवाई की जा रही है। घोषणा के समय मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल और वरिष्ठ मंत्री नितिन पटेल भी मौजूद थे। आरक्षण देने का निर्णय भाजपा की राज्य इकाई के कोर ग्रुप की बैठक में लिया गया जिसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हुए। गुजरात फाउंडेशन डे 1 मई को इसका नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा ।
भाजपा को हाल में हुए ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों में भारी नुकसान हुआ है जिसके लिए पटेल आरक्षण आंदोलन को जिम्मेदार माना जा रहा है। आरक्षण देने का निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब पार्टी स्थानीय निकाय के हाल के परिणामों के कारण चिंतित है। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।
इस घाेषणा का फायदा पाटीदार कम्युनिटी को भी मिलेगा, जो 10 महीने से आरक्षण के लिए आंदोलन कर रही है। ये कोटा राज्य में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए पहले से मौजूद कुल 49% आरक्षण से अलग होगा। इससे कोटा का लेवल 59% तक पहुंच जाएगा जो सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय की गई 50% की लिमिट से ज्यादा होगा। इसका फायदा पाटीदारों समेत गैर-आरक्षण कैटेगरी में आने वाले आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को मिलेगा। इससे पहले राजस्थान सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 14% आरक्षण देने का फैसला किया था, जिसे हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया था।