प्रयागराज, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि रजिस्ट्रार सोसाइटी को साेसाइटी के पदाधिकारियों के चुनाव में दखल देने का हक नहीं है। वह केवल सक्षम प्राधिकारी को संदर्भित कर सकता है और विवाद होने पर सोसाइटी पदाधिकारियों की वैधता की जांच कर सकता है।
अदालत ने सहायक रजिस्ट्रार सोसायटी झांसी के आदेश को रद्द कर दिया और नये सिरे से विचार कर निर्णय लेने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला ने आर्य कन्या पाठशाला समिति व तीन अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याचिका में सहायक रजिस्ट्रार, फर्म्स, सोसायटी और चिट्स, झाँसी द्वारा पारित आदेश 19 सितंबर 2023 के आदेश को चुनौती दी गई थी। इस आदेश के तहत सहायक रजिस्ट्रार ने सोसायटी की 30 अक्तूबर 2021 और 10 जून 2023 की चुनाव कार्यवाही को अमान्य घोषित कर दिया था।
विपक्षी ने याचिका की पोषणीयता पर सवाल खड़े किए और कहा कि रजिस्ट्रार सोसाइटी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला लिया है।
याची ने कहा कि सोसायटी के प्रबंधकीय विवाद का निर्णय धारा 25(1) के तहत निर्धारित प्राधिकारी द्वारा किया जा सकता है। सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 और सहायक रजिस्ट्रार के पास सोसायटी की प्रबंधन समिति के चुनावों की वैधता पर निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है।
गौरतलब है कि आर्य कन्या पाठशाला समिति, शिपरी बाजार, झाँसी सोसायटी पंजीकृत एक सोसायटी है। सोसायटी की प्रबंधन समिति के चुनाव 13 जून 2018 को हुए थे। सोसायटी की प्रबंधन समिति के दो पदाधिकारियों यानी उप प्रबंधक और कोषाध्यक्ष की मृत्यु हो गई और इसलिए, आकस्मिक रिक्तियों में, याची संख्या दो और तीन को प्रबंधन समिति के प्रस्ताव के माध्यम से क्रमशः उप प्रबंधक और कोषाध्यक्ष के रूप में योजित किया गया। 30 अक्तूबर 2021 को प्रस्ताव पारित कर 2022-23 हेतु सोसायटी की प्रबंध समिति के पदाधिकारियों की सूची पंजीकृत की गयी। सोसायटी की प्रबंधन समिति का कार्यकाल, जो उपनियमों के अनुसार पांच वर्ष है, समाप्त हो गया था। इसलिए 10 जून 2023 को आम सभा की बैठक में नए चुनाव हुए और उसके बाद उसकी मान्यता के लिए चुनाव की कार्यवाही सहायक रजिस्ट्रार के समक्ष रखी गई। सहायक रजिस्ट्रार ने दिनांक 19 सितंबर 2023 को आक्षेपित आदेश पारित किया है जिसके तहत 30 अक्टूबर 2021 और 10 जून 2023 के चुनावों को अमान्य घोषित कर दिया था।