Breaking News

अब लोग गायों के पेट में भी छेद कर रहे हैं,जानिए क्यों…?

नई दिल्ली, भारत में गायों की रक्षा के लिए सरकार मुहिम चला रही है, जिसके तहर कई राज्यों की सरकान ने नई नई योजनाओं को अमलीजामा भी पहना चुकी है, लेकिन आज हम आपको गायों को लेकर एक अहम जानकारी देने जा रहे है।

इस जानवर के दूध से बनता है दुनिया का सबसे महंगा पनीर, ये है कीमत

फ्रांस के एक पशु अधिकार समूह ने गायों पर हो रहे शोध को लेकर आपत्ति जताई है। समूह का कहना है कि गाय के पेट के बारे में अध्ययन करने के लिए के लिए रिसर्चर्स पोर्टहोल (छेद) का इस्तेमाल कर रहे हैं। फ्रांस के पशु अधिकार समूह एल214 ने इसका वीडियो जारी किया है। इसमें साफ देखा जा सकता है कि रिसर्चर्स पोर्टहोल्स के जरिए गाय के पेट में हाथ डाल रहे हैं। वीडियो को उत्तर-पश्चिम फ्रांस में स्थित सॉरचेस एक्सपेरिमेंटल फार्म ने रिकॉर्ड किया है।

इन कपड़ो को पहनकर नहीं कर सकेंगे इमामबाड़ा का दीदार…

स्कॉटलैंड के रूरल कॉलेज में अकादमिक निदेशक जेमी न्यूबॉल्ड ने बीबीसी को बताया कि अगर हम खाद्य उत्पादन को बढ़ाने और ग्रीनहाउस गैसों को कम करना चाहते हैं तो गायों के पेट का अध्ययन जरूरी है। सॉरचेस एक्सपेरिमेंटल फार्म में फिलहाल छह गायों पर यह एक्सपेरिमेंट किया जा रहा है। इसका उद्देश्य लाखों पशुओं के पाचन में सुधार लाना, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कम करना साथ ही नाइट्रेट और मीथेन का उत्सर्जन कम करना है।

यूपी में ये छोटी सी दुकान में कचौड़ी बेचने वाला निकला करोड़पति…

उन्होंने कहा कि गाय के पेट का अध्ययन करने के तीन तरीके हैं- पहला मृत गायों के नमूनों का इस्तेमाल, दूसरा पेट में नली लगाकर और तीसरा कैन्युलेशन के जरिए। कैन्युलेशन एक तकनीक है, जिसमें नस के माध्यम से शरीर से ब्लड या तरल निकाला जाता हैं। इसमें गाय के पेट में 15 सेमी तक छेद किया जाता है। यह तकनीक 19वीं सदी में शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य गायों के पाचन तंत्र का अध्ययन करना है।

एक छोटे से कीड़े ने रुक दी दर्जनों ट्रेनें….

न्यूबोल्ड ने कहा कि कैन्युलेशन के माध्यम से रिसर्चर्स आसानी से गायों के रुमेन (जुगाली करने वाले पशुओं का पहला पेट) तक पहुंच जाते हैं। इससे आसानी से उनके सैंपल्स लिया जा सकता है। गाय के पेट के चार भाग होते हैं। इनके नाम हैं- रुमेन, रेटिक्यूलम, ओमैसम और एबोमैसम। सामान्य रूप से ऐनिस्थेटिक का उपयोग कर कैन्युलेशन किया जाता है। इसके बाद औसत गायों की तुलना में यह 12-15 साल ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं।

इस मंदिर में मिली महिला की सिर कटी लाश, नरबलि की आशंका

पशु अधिकार समूह एल214 के सह-संस्थापक ब्रिगिट्टी गोथेरे ने इस रिसर्च को बंद कराने के लिए याचिका दायर की है। समूह का कहना है कि वे गाय के पेट में छेद कर नियमित रूप से इसकी सामग्री तक पहुंचना चाहते हैं। कर्मचारी नियमित रूप से भोजन के नमूने रखने या उन्हें बाहर निकालने के लिए पोर्टहोल खोलने आते हैं। इनका उद्देश्य यह है कि गाय ज्यादा से ज्यादा दूध दे सके। इससे गायों को कई तरह की बीमारियां होने का खतरा है। इसे बंद किया जाना चाहिए।

एसी में रहने से होती है ये बीमारी,इन चीजों से भी बनाएं दूरी

अब ये लोग कर सकेंगे फ्री मे हवाई यात्रा….

अब यहां पर भी मिलेगा पेट्रोल-डीजल…

ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर मोदी सरकार ने किया ये बड़ा बदलाव…