आरटीई के तहत निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के प्रवेश पर निगरानी रखेगी सरकार

लखनऊ, निःशुल्क शिक्षा अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में दाखिला लेने वाले गरीब परिवार के बच्चों के लिए पूर्व में निर्धारित व्यवस्था में उत्तर प्रदेश सरकार ने बदलाव कर दिया है।

संशोधन के बाद इसे लागू कर दिया गया है। जिसकी मॉनिटरिंग सरकार के स्तर से होगी। इसके तहत आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी और इसके लिए माता-पिता व बच्चे का आधार कार्ड अनिवार्य रहेगा। इस बाबत मंगलवार को बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से शासनादेश जारी कर दिया गया है।

जारी शासनादेश के मुताबिक पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश की आयु सीमा 3 से 6 वर्ष और कक्षा-1 के लिए 6 से 7 वर्ष तय कर दी गई है। वहीं पहली बार जिलास्तर पर क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति गठित की गई है, जिसकी अध्यक्षता डीएम करेंगे। इस समिति में दर्जन भर से अधिक जिला स्तरीय अधिकारी सदस्य होंगे, जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। इतना ही नहीं, प्रवेश आवेदन एवं प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाले विवादों का त्वरित निस्तारण सीडीओ की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय विवाद समाधान समिति करेगी।

शासनादेश से मिथ्या या फर्जी दस्तावेज़ों पर प्रवेश की कोशिश करने वाले अभिभावकों पर न केवल रोक लगेगी बल्कि उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई भी की जाएगी। इतना ही नहीं, इससे स्कूलों की मनमानी और उनके द्वारा फीस प्रतिपूर्ति में किये जाने वाले संभावित घालमेल पर रोक लगेगी। यदि किसी आवंटित बच्चे को बिना उचित कारण के प्रवेश से वंचित किया गया तो संबंधित विद्यालय की मान्यता तक प्रत्याहरण (रद्द) की जा सकती है। इसके तहत सभी आवेदन सभी आवेदन पोर्टल पर होंगे। विद्यालयों को अपनी उपलब्ध सीटों की जानकारी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। आवंटित छात्रों की सूची सार्वजनिक की जाएगी, ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो। निजी विद्यालयों में प्रवेश पाने वाले बच्चों की फीस का भार सरकार उठाएगी। साथ ही, ड्रेस और किताबों की खरीद के लिए अभिभावकों को सीधे उनके बैंक खातों में 5000 की वार्षिक सहायता दी जाएगी।

महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा का कहना है कि बच्चे के आवंटित विद्यालय में प्रवेश के बाद विद्यालय को अनिवार्य रूप से उसकी जानकारी आरटीई ऑनलाइन पोर्टल एवं यू-डायस पोर्टल पर दर्ज कराते हुए अपार आईडी बनानी होगी। यदि यह प्रक्रिया पूर्ण नहीं की जाती, तो विद्यालय को फीस प्रतिपूर्ति का लाभ नहीं मिलेगा। पारदर्शी वित्तीय व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति एवं सहायता राशि का भुगतान तभी किया जाएगा, जब संबंधित विद्यालयों से प्राप्त मांग पत्र/प्रतिपूर्ति बिल जनपद स्तरीय अधिकारियों द्वारा शत-प्रतिशत सत्यापित होंगे। इस सत्यापन में विगत शैक्षिक सत्रों में नामांकित तथा वर्तमान में अध्ययनरत छात्रों की रजिस्ट्रेशन संख्या और विद्यालय आवंटन के आधार पर मिलान किया जाएगा। इसके अतिरिक्त खण्ड शिक्षा अधिकारी द्वारा प्रत्येक तिमाही में स्थलीय निरीक्षण कर विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों का सत्यापन किया जाएगा।

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि सरकार की यह पहल शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि अब कोई भी गरीब बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि हर वर्ग को समान अवसर मिले।

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