आर्थिक सर्वेक्षण पर पूर्व वित्त मंत्री की ये हैं विचार….
January 30, 2018
नयी दिल्ली , संसद में आर्थिक सर्वेक्षण को पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने निराशाजनक बताया और आरोप लगाया कि सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए जमीन तैयार कर रही है।
चिदंबरम् ने कहा कि ष्सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था की भविष्य की राह कई शर्तों पर आधारित है। अधूरे कार्यों की सूची देने के बाद सर्वेक्षण सरकार की विफलताओं ;को छुपाने के लिएद्ध जमीन तैयार करता दिख रहा है। इसमें कहा गया है कि श्यदि वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार जारी रहती है और श्यदि कच्चा तेल की कीमत मौजूदा स्तर पर नहीं बनी रहती है। इसलिए परिदृश्य यदि अंधकारमय नहीं तो अनिश्चित अवश्य है।
कांग्रेस नेता ने कहा है कि सर्वेक्षण में आखिरकार पूरी जिम्मेदारी निजी निवेश और निर्यात पर मढ़ दी गयी है। यह स्पष्ट है कि सरकार ने हथियार डाल दिये हैं और उम्मीद करती है कि निजी क्षेत्र अर्थव्यवस्था को उबार लेगा। कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष की यह रिपोर्ट निराशाजनक है।
उन्होंने कहा है कि सर्वक्षण में चालू वित्त वर्ष में विकास दर 6.75 प्रतिशत रहने का अनुमान जाहिर किया गया हैए लेकिन यह इस अवधारणा पर आधारित है कि वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में विकास दर 7.5 प्रतिशत रहेगी, हालांकि इसके समर्थन में कोई खास तथ्य नहीं दिये गये हैं। सर्वेक्षण में यह स्वीकार किया गया है कि टॉयलेटए जनधन खातों और एलपीजी कनेक्शनों तथा गाँवों के विद्युतीकरण का अपेक्षित परिणाम नहीं आया है।
कांग्रेस के संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि अगले साल देश में आम चुनाव होने वाले हैं और प्रधानमंत्री ने देश की अर्थव्यवस्था को गहरी खाई में धकेल दिया है। पिछले साल अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा था कि जीडीपी विकास दर 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इस साल भी आर्थिक सर्वेक्षण में 2018.19 के लिए विकास दर सात से 7.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान जताया गया है और हम उम्मीद करते हैं कि यह भी कोरी भविष्यवाणी साबित न हो, क्योंकि जीडीपी का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड 2015.16 में आठ प्रतिशतए 16.17 में 7.1 प्रतिशत और 2017-18 में 6.5 प्रतिशत का है।
इसमें कहा गया है कि यह अब भी जीडीपी में 16 प्रतिशत और रोजगार में 49 प्रतिशत का योगदान दे रहा है, लेकिन यह मोदी सरकार के लिए श्कृषि संकट बन चुका है। मोदी सरकार के कार्यकाल में जहां जीडीपी विकास दर 7.9 प्रतिशत रही हैए वहीं कृषि क्षेत्र की विकास दर घटकर 1.9 प्रतिशत पर आ गयी है।