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इस गाय के दूध से हो रही है ये गंभीर बीमारी…..

नई दिल्ली, अब जर्सी गाय का दूध लिवर और किडनी के लिए समस्या बन रहा। जर्सी गाय के दूध में पाया जाने ए-1 बीटा कैसिन किडनी और लीवर को कमजोर कर रहा है। जर्सी गाय भले ज्यादा दूध देती है, मगर इसमें पाया जाने वाला यह प्रोटीन लीवर व किडनी के साथ ही पैंक्रियाज, मस्तिष्क को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाता है। जिससे इन अंगों में सूजन की समस्या होने लगती है, जो कई अन्य किस्म की बीमारियों की वजह बनती है।

ए-2 बीटा कैसिन देसी गायों से मिलने वाला दूध है। दरअसल, दूध में जो प्रोटीन होता है, वह पेप्टाइड्स में तब्दील होता है। बाद में अमीनो एसिड का स्वरूप लेता है। इस तरह का दूध पचाने में आसान रहता है। जबकि ए-1 बीटा कैसिन में पेप्टाइड्स को अमीनो एसिड में तब्दील नहीं किया जा सकता। जिससे ये पचाने योग्य नहीं होता, साथ ही कई रोगों को भी जन्म देता है।

बीएचयू आयुर्वेद संकाय, काय चिकित्सा विभागाध्यक्ष प्रो. ओपी सिंह बताते हैं कि यूरोप की गायों में अनुवांशिक बदलाव के कारण ए-2 से ए-1 हुआ। ए-2 मिल्क के मुकाबले ए-1 आनुवांशिक तौर पर अलग है। इसमें एक अमीनो एसिड का अंतर है। यानी यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आने वाली विदेशी गायों का दूध ए-1 होता है, जिसका गुणवत्ता से लेना देना नहीं है। दरअसल, बीसीएम-7 एक छोटा-सा प्रोटीन होता है, जो ए-2 दूध देने वाली देसी गायों के यूरिन, ब्लड या आतों में नहीं मिलता, लेकिन ए-1 जर्सी गायों के दूध में पाया जाता है।

इस कारण ए-1 दूध पचाने में दिक्कत होती है। ए-1 दूध से होने वाली समस्याएं : टाइप-1 डायबिटीज, दिल के रोग, बच्चों में सायकोमोटर का धीमा विकास,ऑटिज्म, सिजोफ्रिना, एलर्जी से बचाव न कर पाना। स्वर्ण व रजत भस्म अच्छे प्रतिरोधक : प्रो. ओपी सिंह बताते हैं कि रोग प्रतिरोधकता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद में स्वर्ण व रजत भस्म के प्रयोग का उल्लेख मिलता है। देसी गाय के दूध में यह दोनों तत्व आयनिक फार्म में होते हैं। इस कारण इनका दूध हल्के पीले रंग का होता है। ए-1 व ए-2 दोनों ही दूध में लैक्टोज तो रहता है। ए-2 दूध के लैक्टोज को पचाया जा सकता है। इसमें प्रोलिन नामक अमीनो एसिड इसे और गुणकारी बनाता है।