नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश ने बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और भाजपा तथा विहिप के अन्य नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाए जाने से संबंधित अपीलों की सुनवाई से आज खुद को अलग कर लिया।
खंडपीठ की अगुआई कर रहे न्यायमूर्ति वी. गोपाल गौड़ा ने बिना कोई कारण बताए सुनवाई से खुद को अलग कर लिया और कहा कि किसी अन्य खंडपीठ को भेजे जाने के लिए ‘‘मामले को प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश किया जाए ।’’ हाजी महबूब अहमद और सीबीआई ने छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के संबंध में वरिष्ठ भाजपा नेता आडवाणी, जोशी और 16 अन्य पर से साजिश रचने के आरोप हटाए जाने के खिलाफ अपीलें दायर की थी।
इन अपीलों में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 20 मई 2010 के आदेश को खारिज करने का आग्रह किया गया है। उच्च न्यायालय ने विशेष अदालत के फैसले की पुष्टि करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी :आपराधिक साजिश: हटा दिया था।
पिछले साल सितंबर में सीबीआई ने शीर्ष अदालत से कहा था कि उसकी नीति निर्धारण प्रक्रिया किसी से भी प्रभावित नहीं होती और वरिष्ठ भाजपा नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाने की कार्रवाई उसके :एजेंसी के: कहने पर नहीं हुई।
सीबीआई ने एक हलफनामे में कहा था, ‘‘सीबीआई की नीति निर्धारण प्रक्रिया पूरी तरह स्वतंत्र है। सभी फैसले मौजूदा कानून के आलोक में सही तथ्यों के आधार पर किए जाते हैं। किसी शख्स, निकाय या संस्था से सीबीआई की नीति निर्धारण प्रक्रिया के प्रभावित होने या अदालतों में मामला लड़ने के उसके तरीके के प्रभावित होने का कोई सवाल नहीं है।’’